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Jharkhand News: डायन बताकर परिवार के तीन सदस्यों की हत्या, झारखंड हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान

लोहरदागा में दिल दहला देने वाली वारदात, हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया, राज्य सरकार से मांगा जवाब।

Jharkhand News: झारखंड के लोहरदागा जिले के पेसरार प्रखंड के केक्रांग बरटोली गांव में 9 अक्टूबर की रात एक दिल दहला देने वाली घटना घटी। यहां एक ही परिवार के तीन लोगों की कुल्हाड़ी से निर्मम हत्या कर दी गई। पीड़ितों में 50 वर्षीय लक्ष्मण नगेशिया, उनकी 45 वर्षीय पत्नी बिफनी नगेशिया और 9 वर्षीय बेटा रामविलास शामिल हैं। हमलावरों ने घर के एक कमरे में सो रहे परिवार पर कुल्हाड़ी से कई वार किए। लक्ष्मण की बहू सुखमेनिया उस वक्त दूसरे कमरे में थी, इसलिए बच गई। उसके बयान पर स्थानीय थाने में एफआईआर दर्ज हुई। घटना के पीछे अंधविश्वास का हाथ बताया जा रहा है। ग्रामीणों ने बिफनी को डायन ठहराकर जादू-टोना का आरोप लगाया था।

Jharkhand News: अंधविश्वास की भेंट चढ़ा परिवार

हत्याकांड की जड़ में पुरानी कुप्रथा है। पड़ोस के दो-तीन परिवारों के लोग बीमार पड़ने पर बिफनी को दोष देते थे। वे कहते थे कि वह काला जादू करके उन्हें नुकसान पहुंचा रही है। कई बार मौत के प्रयास भी हुए। आखिरकार, 9 अक्टूबर की रात हमलावरों ने घर में घुसकर तीनों को मार डाला। सुखमेनिया ने पुलिस को बताया कि हमलावर कुल्हाड़ी लेकर आए थे। हत्या के बाद सभी फरार हो गए। गांव में दहशत फैल गई। यह घटना झारखंड में डायन शिकार की बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर करती है। 1999 के डायन प्रथा निवारण अधिनियम के बावजूद ऐसी वारदातें रुक नहीं रही हैं।

हाईकोर्ट की सख्ती और सरकार को नोटिस

झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले में खुद से संज्ञान लिया। चीफ जस्टिस तारलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की बेंच ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने पिछले दो साल में डायन प्रथा निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की जांच की स्थिति की पूरी जानकारी मांगी। वर्तमान हत्याकांड की जांच पर भी अपडेट देने को कहा। सुनवाई 14 नवंबर को होगी। कोर्ट ने 2012 और 2015 की पुरानी जनहित याचिकाओं के साथ इस केस को जोड़ा। इससे साफ है कि डायन शिकार को रोकने के लिए व्यापक कदम उठाने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि सरकार को जल्द जवाब दाखिल करना होगा।

पुलिस जांच और आगे की चुनौतियां

पुलिस ने सुखमेनिया के बयान पर तुरंत एफआईआर दर्ज की। लेकिन हमलावरों की गिरफ्तारी पर अब तक कोई खबर नहीं। गांववालों के फरार होने से जांच में देरी हो रही है। यह मामला दिखाता है कि अंधविश्वास कैसे ग्रामीण इलाकों में हिंसा को जन्म देता है। झारखंड सरकार को अब सख्त कार्रवाई करनी होगी। हाईकोर्ट का हस्तक्षेप उम्मीद जगाता है कि दोषियों को सजा मिलेगी। कुल मिलाकर, यह घटना समाज को जागरूक करने का संकेत है।

Sanjna Gupta
Author: Sanjna Gupta

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