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Jitiya Mahaparv 2025: मिथिलांचल में 13-15 सितंबर को निर्जला व्रत, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

13-15 सितंबर तक चलेगा जितिया पर्व, जानें नहाय-खाय, निर्जला व्रत और पारण का शुभ मुहूर्त।

Jitiya Mahaparv 2025: मिथिलांचल का पवित्र जितिया महापर्व 13 से 15 सितंबर 2025 तक धूमधाम से मनाया जाएगा। यह पर्व संतान की लंबी आयु और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए समर्पित है। महिलाएं इस दौरान कठिन निर्जला व्रत रखती हैं। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में खासकर मिथिलांचल में यह पर्व बहुत श्रद्धा से मनाया जाता है। आइए, सरल शब्दों में जानें जितिया की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इसका सांस्कृतिक महत्व। यह खबर उन लोगों के लिए खास है जो इस पर्व को मनाने की तैयारी कर रहे हैं।

जितिया महापर्व का शेड्यूल

जितिया पर्व तीन दिनों तक चलता है। इस साल यह 13 सितंबर से शुरू होकर 15 सितंबर को पारण के साथ खत्म होगा। इसका शेड्यूल इस प्रकार है:-

13 सितंबर: नहाय-खाय (एकभुक्त) इस दिन व्रती महिलाएं मरुआ (रागी) की रोटी और मछली खाती हैं। रात में उठगन की परंपरा होती है, जिसमें दही-चूड़ा खाया जाता है।

14 सितंबर: निर्जला व्रत- यह मुख्य व्रत का दिन है। महिलाएं बिना पानी और भोजन के कठिन उपवास रखती हैं। यह संतान की सुरक्षा के लिए किया जाता है।

15 सितंबर: पारण सुबह 6:36 बजे के बाद व्रती महिलाएं व्रत खोलेंगी। यह दिन सुख-समृद्धि की कामना के साथ पूरा होता है।

पूजा विधि: कैसे करें जितिया व्रत?

जितिया व्रत की पूजा विधि सरल लेकिन नियमों से भरी है:

1 स्नान और तैयारी: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।

2 मंदिर की सफाई: घर के पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।

3 जीमूतवाहन की पूजा: चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान जीमूतवाहन की मूर्ति स्थापित करें।

4 दीपक और आरती: देसी घी का दीपक जलाएं और आरती करें।

5 व्रत कथा: जितिया व्रत की कथा सुनें। इसमें जीमूतवाहन, चील और सियार की कहानी शामिल है।

6 दान: पूजा के बाद गरीबों को भोजन, कपड़े और तिल दान करें।

7 पारण: तीसरे दिन सुबह पारण करें और भोजन ग्रहण करें।

शुभ मुहूर्त

अष्टमी तिथि शुरू: 14 सितंबर 2025, सुबह 5:04 बजे

अष्टमी तिथि खत्म: 15 सितंबर 2025, रात 3:06 बजे

पारण का समय: 15 सितंबर 2025, सुबह 6:36 बजे के बाद

शुभ योग: सिद्धि योग, रवि योग और शिववास योग, जो पूजा को और प्रभावशाली बनाते हैं।

जितिया का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

जितिया महापर्व मिथिलांचल की समृद्ध संस्कृति का हिस्सा है। यह पर्व माताओं की संतान के प्रति निस्वार्थ भक्ति को दर्शाता है। मान्यता है कि यह व्रत भगवान श्रीकृष्ण के समय से मनाया जाता है। कथा के अनुसार, जीमूतवाहन ने अपनी भक्ति से संतान की रक्षा की थी। यह व्रत परिवार की सुख-शांति और बच्चों की लंबी उम्र सुनिश्चित करता है। मिथिलांचल में यह पर्व सामुदायिक एकता और परंपराओं का प्रतीक है।

विशेष सुझाव

व्रत करने वाली महिलाओं को स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। निर्जला व्रत कठिन होता है, इसलिए पहले से तैयारी करें।

पूजा विधि में पारंपरिक नियमों का पालन करें।

अगर मछली नहीं खाते, तो नहाय-खाय में सात्त्विक भोजन लें।

जितिया पर्व मिथिलांचल की आत्मा है। अगर आप इस पर्व को मनाने जा रहे हैं, तो श्रद्धा और नियमों का पालन करें।

Sanjna Gupta
Author: Sanjna Gupta

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