https://whatsapp.com/channel/0029VajZKpiKWEKiaaMk4U3l

Top 5 This Week

Related Posts

भारत का स्वर्ण युग, गुप्त साम्राज्य को क्यों कहते हैं जानें 5 बड़े कारण।

India Golden Age: भारत का सबसे गौरवशाली काल गुप्त साम्राज्य (320 ई. से 550 ई.) को माना जाता है। इसे इतिहासकार स्वर्ण युग कहते हैं, क्योंकि इस दौर में भारत ने विज्ञान, कला, साहित्य, गणित और शासन में जो ऊंचाइयां छुईं, उनकी बराबरी दुनिया में कहीं नहीं थी। चंद्रगुप्त प्रथम ने छोटे से राज्य को साम्राज्य बनाया, समुद्रगुप्त ने इसे विशाल बनाया और चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य ने इसे चरम पर पहुंचाया। छोटे शहरों और गांवों के बच्चे जो इतिहास की किताबों में गुप्त काल पढ़ते हैं, उन्हें यह जानकर गर्व होता है कि यही वह दौर था जब भारत विश्व गुरु कहलाता था। आइए सरल भाषा में समझें इस स्वर्ण युग की कहानी।

चंद्रगुप्त प्रथम से चंद्रगुप्त द्वितीय तक: साम्राज्य का विस्तार

गुप्त वंश की शुरुआत श्रीगुप्त से हुई, लेकिन असली नींव चंद्रगुप्त प्रथम ने रखी। उन्होंने लिच्छवी राजकुमारी कुमारदेवी से विवाह कर पटना (पाटलिपुत्र) को राजधानी बनाया और गुप्त संवत (319-320 ई.) शुरू किया। उनके बेटे समुद्रगुप्त को नेपोलियन ऑफ इंडिया कहा जाता है। इलाहाबाद स्तंभ प्रशस्ति में हरिषेण ने लिखा कि समुद्रगुप्त ने दक्षिण भारत तक विजय की और आर्यावर्त के 9 राजाओं को हराया। उनके पुत्र चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य ने शकों को पूरी तरह खत्म किया और उज्जैन को दूसरी राजधानी बनाया। उनके दरबार में नवरत्न थे, जिनमें कालिदास, अमरसिंह, वराहमिहिर, आर्यभट्ट जैसे महान विद्वान शामिल थे।

विज्ञान और गणित में क्रांति: शून्य और दशमलव प्रणाली का जन्म

गुप्त काल में आर्यभट्ट ने सबसे पहले बताया कि पृथ्वी गोल है और अपनी धुरी पर घूमती है। उन्होंने पाई का मान 3.1416 बताया। शून्य और दशमलव प्रणाली का अविष्कार यहीं हुआ, जो आज पूरी दुनिया इस्तेमाल करती है। वराहमिहिर ने त्रिकोणमिति की नींव रखी। आयुर्वेद में धन्वंतरि और सुश्रुत ने प्लास्टिक सर्जरी तक की। लौह स्तंभ (दिल्ली) आज भी जंग नहीं लगता, यह धातु विज्ञान का कमाल था।

कला, साहित्य और संस्कृति का चरम

कालिदास ने अभिज्ञान शाकुंतलम, मेघदूत, रघुवंश जैसे ग्रंथ लिखे। फाहियान नामक चीनी यात्री ने लिखा कि गुप्त काल में सड़कें साफ थीं, अपराध न के बराबर था और लोग सुखी थे। अजंता-एलोरा की गुफाएं, दशावतार मंदिर (देवगढ़), लौह स्तंभ सब इसी काल के हैं। सोने के सिक्के (दीनार) इतने शुद्ध थे कि दुनिया में मशहूर हुए।

गुप्त काल में भारत एकता, शक्ति और समृद्धि का प्रतीक था। यह दौर सिखाता है कि जब देश में स्थिर शासन, विज्ञान और कला को प्रोत्साहन मिलता है तो कोई भी राष्ट्र विश्व गुरु बन सकता है। गुप्त साम्राज्य भारत के गौरव की अमर गाथा है।

Sanjna Gupta
Author: Sanjna Gupta

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Popular Articles

error: Content is protected !!