लद्दाख आंदोलन हुआ हिंसक, चार की मौत: सोनम वांगचुक ने तोड़ा उपवास और की शांति की अपील

लद्दाख में राज्य का दर्जा और क्षेत्र को छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन मंगलवार को अचानक हिंसा में बदल गया। लेह में हुए टकराव के दौरान चार लोगों की मौत हो गई, जबकि 70 से अधिक लोग घायल हुए। इसी बीच, प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 15 दिन बाद अपना उपवास समाप्त कर दिया और युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील की।
सोनम वांगचुक ने युवाओं से की अपील
सोनम वांगचुक ने कहा,“मैं युवाओं से अपील करता हूं कि आगजनी और झड़पों को बंद करें। हम अपना उपवास खत्म कर रहे हैं और प्रशासन से भी आग्रह है कि आंसू गैस का इस्तेमाल बंद किया जाए। भूख हड़ताल तभी सफल होती है जब संघर्ष में किसी की जान न जाए।”
उन्होंने दोहराया कि आंदोलन को शांतिपूर्ण बनाए रखना ही इसकी ताकत है और किसी भी तरह की हिंसा से इस संघर्ष की नैतिकता कमजोर होगी।
बुधवार को लेह बंद और विरोध प्रदर्शनों के दौरान स्थिति बिगड़ गई। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय और कई वाहनों में आग लगा दी। पुलिस के मुताबिक, कुछ युवाओं द्वारा पथराव और सुरक्षाबलों पर हमला करने के बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और लाठीचार्ज का इस्तेमाल करना पड़ा। हालात काबू में लाने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।
विरोध और रैलियों पर रोक
स्थिति को देखते हुए जिला मजिस्ट्रेट रोमिल सिंह डोंक (IAS) ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए लेह में तत्काल प्रभाव से सभी विरोध प्रदर्शनों, रैलियों और पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगा दी है। यह आदेश भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 163 के तहत जारी किया गया है।
प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि बिना अनुमति किसी प्रकार की रैली, जुलूस, लाउडस्पीकर का इस्तेमाल या सार्वजनिक बयानबाजी, जो शांति भंग कर सकती है, प्रतिबंधित रहेगी। उल्लंघन करने वालों पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
6 अक्टूबर को होगी अहम बैठक
लद्दाख में यह आंदोलन लंबे समय से चल रहा है। लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) केंद्र सरकार से कई दौर की बातचीत कर चुके हैं, लेकिन अब तक ठोस समाधान नहीं निकला। अगली बैठक गृह मंत्रालय ने 6 अक्टूबर को बुलाई है।
LAB और KDA का कहना है कि वे तब तक भूख हड़ताल खत्म नहीं करेंगे, जब तक कोई ठोस समझौता सामने नहीं आता। LAB के सह-अध्यक्ष चेयरिंग दोरजे ने हाल ही में कहा था,
“हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण है, लेकिन लगातार देरी से लोग अधीर हो रहे हैं। सरकार को गंभीरता से हमारी मांगों पर विचार करना चाहिए।”
केंद्र सरकार पर तारीख थोपने के आरोप भी लग रहे हैं। LAB और KDA के नेताओं का कहना है कि वार्ता का समय दोनों पक्षों की सहमति से तय होना चाहिए था। वहीं, उपवास कर रहे नेताओं और समर्थकों ने ऊंचाई वाले कठिन इलाकों में भूखे रहकर संघर्ष करने की चुनौती पर भी ध्यान दिलाया है।
सोनम वांगचुक ने फिर दोहराया कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। उन्होंने कहा,
“हम चाहते हैं कि हमारी समस्याएं भारत की गरिमा को बनाए रखते हुए सुलझें। युवाओं को धैर्य और संयम के साथ आंदोलन में आगे रहना होगा।”