Mini Tirupati Temple: मिनी तिरुपति का इतिहास, जो हालिया भगदड़ से आया सुर्खियों में
आंध्र प्रदेश का काशीबुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर, जो हाल ही में भगदड़ के कारण सुर्खियों में है, महज 4-6 महीने पहले ही आम भक्तों के लिए खोला गया था। इसे एक भक्त ने तिरुमाला में हुए अपमान के बाद बनवाया था।
Mini Tirupati Temple: आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले का काशीबुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर, 1 नवंबर 2025 को देवउठनी एकादशी के दिन हुई एक दर्दनाक भगदड़ के बाद पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। इस हादसे में 10 श्रद्धालुओं की जान चली गई। यह मंदिर, जिसे स्थानीय लोग मिनी तिरुपति (Mini Tirupati) या पूर्व का तिरुपति भी कहने लगे थे, असल में कोई सदियों पुराना प्राचीन मंदिर नहीं, बल्कि एक भक्त की आस्था और प्रण का नतीजा है, जो कुछ महीने पहले ही बनकर तैयार हुआ था।
ज्यादातर लोग इसके इतिहास से वाकिफ नहीं हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर के निर्माण के पीछे की पूरी कहानी, इसकी वास्तुकला और इसके कम समय में इतने प्रसिद्ध हो जाने का कारण।
मंदिर का इतिहास: एक भक्त का प्रण
इस भव्य मंदिर का निर्माण श्रीकाकुलम जिले के ही एक भक्त हरिमुकुंद पंडा ने करवाया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मंदिर के निर्माण के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। बताया जाता है कि लगभग 13 साल पहले, हरिमुकुंद पंडा तिरुमाला (Tirumala) में भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन के लिए गए थे। वहां वह घंटों तक लाइन में लगे रहे, लेकिन जब वे मुख्य मूर्ति के सामने पहुंचे, तो कथित तौर पर वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें धक्का दे दिया और वे ठीक से दर्शन नहीं कर पाए।
इस घटना से आहत होकर, हरिमुकुंद पंडा ने यह प्रण लिया कि वह अपने ही गृहनगर काशीबुग्गा में भगवान वेंकटेश्वर का एक ऐसा भव्य मंदिर बनवाएंगे, जो तिरुमाला की प्रतिकृति (Replica) हो, ताकि स्थानीय भक्तों को दर्शन के लिए इतनी दूर न जाना पड़े और न ही किसी अपमान का सामना करना पड़े।
Mini Tirupati Temple: भव्य वास्तुकला और निर्माण
हरिमुकुंद पंडा ने अपने इस सपने को पूरा करने के लिए अपनी 12 एकड़ से अधिक पारिवारिक भूमि दान कर दी।
- लागत और डिजाइन: लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत से, इस मंदिर को तिरुमाला के मुख्य ‘आनंद निलयम’ मंदिर की हूबहू प्रतिकृति के रूप में डिजाइन किया गया।
- उद्घाटन: चार साल तक चले निर्माण कार्य के बाद, यह मंदिर इसी साल मई 2025 में भक्तों के लिए खोला गया था। यानी, हादसे के वक्त इसे खुले हुए महज 4 से 6 महीने ही हुए थे।
- मुख्य मूर्तियां: मंदिर के गर्भगृह में भगवान वेंकटेश्वर के साथ देवी श्रीदेवी और भूदेवी की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं, जिन्हें एक ही शिला से बनाया गया है।
मिनी तिरुपति’ के रूप में बढ़ती लोकप्रियता
चूंकि यह मंदिर तिरुमाला की प्रतिकृति था और यहां पूजा-पाठ की परंपराएं भी तिरुपति की तर्ज पर ही शुरू की गई थीं, इसलिए यह बहुत कम समय में स्थानीय श्रद्धालुओं के बीच बेहद लोकप्रिय हो गया। लोग इसे ‘मिनी तिरुपति’ या ‘पूर्व का तिरुपति’ कहने लगे।
मान्यता यह बन गई थी कि जो भक्त किन्हीं कारणों से तिरुमाला नहीं जा सकते, उन्हें यहां दर्शन करने से भी तिरुपति बालाजी के समान ही पुण्य प्राप्त होगा। इसी आस्था के कारण, शनिवार और एकादशी जैसे विशेष अवसरों पर यहां हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ने लगी थी।
कैसे हुआ दर्दनाक हादसा?
1 नवंबर 2025 को कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी का पड़ना, जो भगवान विष्णु की पूजा के लिए सबसे पवित्र दिनों में से एक है, मंदिर में अप्रत्याशित भीड़ का कारण बना।
- अनुमान से ज्यादा भीड़: आमतौर पर शनिवार को यहां 2,000-3,000 भक्त आते थे, लेकिन एकादशी होने के कारण यह संख्या 10,000 से 25,000 तक पहुंच गई।
- अधूरी व्यवस्था: मंदिर निजी तौर पर प्रबंधित था और कथित तौर पर अभी भी इसके कुछ हिस्सों में निर्माण कार्य चल रहा था।
- एक ही एंट्री-एग्जिट: अधिकारियों के मुताबिक, मंदिर में प्रवेश और निकास का रास्ता एक ही था। जब भीड़ का दबाव बढ़ा, तो सीढ़ियों के पास लगी एक रेलिंग टूट गई, जिससे लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे और यह दर्दनाक भगदड़ मच गई।
काशीबुग्गा वेंकटेश्वर मंदिर: मुख्य तथ्य
| तथ्य | विवरण |
| स्थान | काशीबुग्गा, पलास मंडल, श्रीकाकुलम जिला, आंध्र प्रदेश |
| मुख्य देवता | भगवान वेंकटेश्वर (विष्णु) |
| अन्य नाम | ‘मिनी तिरुपति’, ‘पूर्व का तिरुपति’ |
| निर्माता | हरिमुकुंद पंडा (निजी मंदिर) |
| क्षेत्रफल | 12 एकड़ |
| लागत | लगभग 20 करोड़ रुपये |
| उद्घाटन | मई 2025 |
| हालिया घटना | 1 नवंबर 2025 (देवउठनी एकादशी) को भगदड़ में 10 मौतें |




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