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Nepal Political Crisis, नेपाल में अशांति, Gen Z ने कुलमान घिसिंग को अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए प्रस्तावित किया

नेपाल में सियासी संकट जारी, Gen Z ने कुलमान घिसिंग को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा।

Nepal Political Crisis: नेपाल की राजधानी काठमांडू में चल रहे भारी विरोध प्रदर्शनों के बीच Gen Z आंदोलन ने कुलमान घिसिंग को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा है। यह आंदोलन भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के खिलाफ शुरू हुआ था, जिसने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया। अब प्रदर्शनकारी नई सरकार और नए नियमों की मांग कर रहे हैं। कुलमान घिसिंग, जो नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व प्रमुख हैं, अपनी ईमानदारी और काम के लिए जाने जाते हैं। इसीलिए Gen Z ने उन्हें अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना है।

Gen Z का आंदोलन- भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़कों पर उतरे युवा

8 सितंबर को हजारों युवा काठमांडू की सड़कों पर उतरे और भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे लगाए। सरकार ने सोशल मीडिया पर बैन लगाने की कोशिश की, जिससे प्रदर्शन और उग्र हो गए। 9 सितंबर को पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई, जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन और कई नेताओं के घरों में आग लगा दी। इस हिंसा में कुल 31 लोग मारे गए। ओली ने दबाव में इस्तीफा दे दिया, लेकिन Gen Z अब संसद भंग करने, नए चुनाव कराने और अंतरिम सरकार बनाने की मांग कर रहा है।

कुलमान घिसिंग क्यों? जनता का भरोसा और साफ छवि

कुलमान घिसिंग का नाम Gen Z ने इसलिए चुना क्योंकि वे नेपाल में बिजली संकट खत्म करने के लिए मशहूर हैं। उनकी अगुवाई में नेपाल में लोडशेडिंग खत्म हुई थी, जिससे उनकी छवि एक ईमानदार और मेहनती नेता की बनी। सोशल मीडिया पर भी लोग उनके समर्थन में हैं। एक X पोस्ट में कहा गया कि कुलमान को Gen Z और नेपाल सेना के साथ मिलकर अंतरिम सरकार बनाने की बात चल रही है। हालांकि, यह अभी शुरुआती प्रस्ताव है और इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

नेपाल का भविष्य, क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव

नेपाल में यह अशांति सिर्फ देश तक सीमित नहीं है। भारत, चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश इस स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नेपाल की भौगोलिक स्थिति इसे क्षेत्रीय शक्तियों के लिए अहम बनाती है। Gen Z का यह आंदोलन श्रीलंका (2022) और बांग्लादेश (2024) की तरह सरकार बदलने की ताकत दिखा रहा है। अब सवाल यह है कि क्या कुलमान घिसिंग के नेतृत्व में नेपाल में नई शुरुआत होगी? लोग नई सरकार और सुधारों की उम्मीद में हैं।[

Sanjna Gupta
Author: Sanjna Gupta

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