भारत की रक्षा ताकत को नई मजबूती: 30 अक्टूबर से बंगाल की खाड़ी में स्ट्रैटेजिक मिसाइल परीक्षण

नई दिल्ली: भारत अपनी सैन्य क्षमताओं को लगातार मजबूत बनाने के प्रयासों में एक नया कदम उठाने जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने 30 अक्टूबर से 1 नवंबर 2025 तक बंगाल की खाड़ी में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक मिसाइल परीक्षण की घोषणा की है। इसके लिए नोटिस टू एयरमेन (NOTAM) जारी कर दिया गया है, जो विमान संचालन पर प्रतिबंध लगाता है। यह परीक्षण भारत की लंबी दूरी की हमला क्षमता को और परिष्कृत करेगा, जो क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए अहम साबित होगा। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह परीक्षण ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत स्वदेशी मिसाइल प्रौद्योगिकी को वैश्विक स्तर पर सिद्ध करने का अवसर बनेगा।
155 किमी क्षेत्र में हवाई प्रतिबंध
NOTAM के अनुसार, प्रतिबंध 30 अक्टूबर सुबह 9 बजे (IST) से 1 नवंबर दोपहर 1 बजे तक प्रभावी रहेगा। इस दौरान बंगाल की खाड़ी के लगभग 155 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को ‘नो-फ्लाई जोन’ घोषित किया गया है, जहां कोई भी नागरिक या सैन्य विमान प्रवेश नहीं कर सकेगा। परीक्षण अब्दुल कलाम द्वीप (पूर्व ओडिशा कोस्ट) से होने की संभावना है, जो भारत के मिसाइल परीक्षणों का प्रमुख केंद्र रहा है। रक्षा मंत्रालय ने मिसाइल का नाम गोपनीय रखा है, लेकिन अनुमान है कि यह अग्नि या ब्रह्मोस जैसी लंबी दूरी की सामरिक मिसाइल हो सकती है। इस परीक्षण से भारत की बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भी मजबूती मिलेगी, जो चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के लिए चेतावनी का संदेश देगी।
हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ स्ट्रैटेजिक मिसाइलों का सफल उपयोग किया था। इन मिसाइलों ने दुश्मन के किलेबंद ठिकानों को सटीकता से नष्ट कर दिया, जिससे भारत की रक्षा रणनीति की प्रभावशीलता साबित हुई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तब कहा था कि “स्वदेशी मिसाइलें हमारी रक्षा दीवार का मजबूत स्तंभ हैं।” इस सफलता के बाद, नया परीक्षण भारत की मिसाइल टेक्नोलॉजी को हाइपरसोनिक स्तर तक ले जाने का प्रयास लगता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे भारत का रक्षा निर्यात भी बढ़ेगा, क्योंकि कई देशों ने ब्रह्मोस और अग्नि सीरीज में रुचि दिखाई है।
सितंबर-अक्टूबर में बंगाल की खाड़ी बनी टेस्टिंग ग्राउंड
भारत ने हाल के महीनों में अपनी मिसाइल शक्ति को बार-बार परखा है। 15-17 अक्टूबर और 24-25 सितंबर को भी बंगाल की खाड़ी में सफल परीक्षण हुए थे, जो अब्दुल कलाम द्वीप से ही किए गए। ये परीक्षण DRDO की अगुवाई में हुए, जो भारत को मिसाइल हाइपरपावर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं। 2025 में अब तक 5 से अधिक ऐसे परीक्षण हो चुके हैं, जो रक्षा बजट के 70% से अधिक हिस्से को स्वदेशी प्रोजेक्ट्स पर केंद्रित करने का प्रमाण हैं। आने वाले परीक्षण से भारत की ICBM (इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल) क्षमता भी मजबूत होगी, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यावश्यक है।
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