झारखंड: नगर निकाय चुनाव में देरी पर हाईकोर्ट सख्त, शीर्ष अधिकारियों को नोटिस

झारखंड में नगर निगम और नगर निकाय चुनाव न कराए जाने के मामले में बुधवार को हाईकोर्ट में अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य के मुख्य सचिव अलका तिवारी, वंदना डाडेल, नगर विकास विभाग के तत्कालीन सचिव विनय कुमार चौबे और अपर सचिव ज्ञानेंद्र कुमार को नोटिस जारी किया। अदालत ने साफ कहा कि अब इन अधिकारियों के खिलाफ आरोप गठित किए जाएंगे।
सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव अलका तिवारी व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित रहीं। अदालत ने 4 जनवरी 2024 को दिए गए आदेश की याद दिलाते हुए पूछा कि तीन सप्ताह में चुनाव कराने का निर्देश क्यों लागू नहीं किया गया। अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा, “लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है और कानून के साथ खिलवाड़ हो रहा है। सरकार जानबूझकर चुनाव कराने में देरी कर रही है।”
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सरकार की कार्यशैली पर सवाल
अदालत ने कहा कि राज्य सरकार बार-बार समय लेकर केवल मामले को टाल रही है। 13 जनवरी 2025 को मुख्य सचिव ने चार महीने के भीतर चुनाव कराने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक चुनाव की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। 18 जुलाई और 2 सितंबर की सुनवाई में भी सरकार ने सिर्फ अतिरिक्त समय मांगा, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
राज्य की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पैरवी की। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि उसके कारण भ्रम की स्थिति बनी, हालांकि अब चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है और ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है। उपस्थित अधिकारियों ने अदालत से क्षमा मांगते हुए नोटिस न जारी करने का अनुरोध किया, लेकिन अदालत ने यह दलील मानने से इंकार कर दिया।
याचिका किसने दायर की?
यह अवमानना याचिका रौशनी खलखो और रीना कुमारी की ओर से दाखिल की गई है। उनकी पैरवी अधिवक्ता विनोद सिंह ने की। याचिका में मांग की गई है कि अदालत के आदेश का पालन सुनिश्चित किया जाए और जल्द से जल्द नगर निकाय चुनाव कराया जाए।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 14 अक्टूबर तय की है और सभी अधिकारियों को सशरीर उपस्थित रहने का आदेश दिया है।