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रांची: झारखंड विधानसभा में बुधवार को विधायक सरयू राय ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव रखा। सभाध्यक्ष से अनुमति मिलने के बाद उन्होंने इस विषय पर अपना संक्षिप्त वक्तव्य दिया।
सरयू राय ने कहा कि विधानसभा में किसी विधायक के प्रश्न का गलत और भ्रामक उत्तर देना सदन की अवमानना है। यह न केवल विधायकों के सही उत्तर जानने के अधिकार का हनन है, बल्कि जनता को भी गुमराह करने का प्रयास है। उन्होंने दावा किया कि 21 मार्च, 2025 को उनके अल्पसूचित प्रश्न के उत्तर में स्वास्थ्य मंत्री ने सदन को गुमराह किया और उपलब्ध साक्ष्यों के बावजूद गलत जानकारी प्रस्तुत की।
फार्मेसी काउंसिल में अनियमित नियुक्ति का आरोप
सरयू राय ने बताया कि उनका प्रश्न झारखंड राज्य फार्मेसी काउंसिल में निबंधक-सह-सचिव पद पर हुई अनियमित नियुक्ति से जुड़ा था। उन्होंने कंडिका-2 में पूछा था कि किसी फार्मासिस्ट का पंजीकरण केवल एक दुकान के लिए वैध होता है, लेकिन राज्य सरकार ने ऐसे व्यक्ति को सचिव-सह-निबंधक नियुक्त किया, जिसका पंजीकरण अलग-अलग स्थानों पर है।
राय के अनुसार, इस संबंध में सहायक निदेशक (औषधि), दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल द्वारा राज्य औषधि नियंत्रण प्रयोगशाला के निदेशक को प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन से यह स्पष्ट हो चुका है कि संबंधित व्यक्ति के अलग-अलग स्थानों पर पंजीकरण हैं। जांच के दौरान फार्मेसी विभाग ने सहयोग नहीं किया और आवश्यक सूचनाएं भी उपलब्ध नहीं कराईं।
विधानसभा में विपक्षी दलों का समर्थन
सरयू राय ने झारखंड विधानसभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियम के अनुच्छेद 136 के तहत विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव रखा। इसके बाद अनुच्छेद 137, 185 और 139 का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि विधानसभा में इस तरह के प्रस्ताव रखने और स्वीकृति देने की प्रक्रिया स्पष्ट रूप से उल्लिखित है।
इस प्रस्ताव के समर्थन में भाजपा, जदयू, लोजपा और आजसू के सभी विधायक खड़े हो गए, जिससे प्रस्ताव को विधानसभा में पर्याप्त समर्थन मिला।
स्पीकर का आश्वासन
स्पीकर ने कहा कि वे इस प्रस्ताव की गंभीरता से समीक्षा करेंगे और आगे की विधिसम्मत कार्रवाई करेंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि विधानसभा इस विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पर क्या निर्णय लेती है और स्वास्थ्य मंत्री व विभाग के अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है।
