बेंगलुरु |पूर्व कर्नाटक मुख्यमंत्री और भारतीय राजनीति के प्रमुख नेता एस एम कृष्णा का निधन मंगलवार की सुबह 2:30 से 2:45 बजे के बीच उम्र संबंधी समस्याओं के कारण हुआ। उनकी आयु 92 वर्ष थी। कृष्णा का राजनीतिक जीवन लगभग छह दशकों तक फैला रहा, जिसमें उन्होंने कांग्रेस पार्टी के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राजनीतिक करियर
कृष्णा का राजनीतिक सफर 1960 के दशक में शुरू हुआ जब उन्होंने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में मैसूर विधानसभा सीट जीती, बाद में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर भी चुनाव लड़ा। उन्होंने कई बार लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रहे और विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें कर्नाटक के मुख्यमंत्री, राज्यपाल और विदेश मंत्री शामिल हैं।
कृष्णा ने 2017 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने का निर्णय लिया और जनवरी 2023 में सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा की।
योगदान और विरासत
कृष्णा को बेंगलुरु को “सिलिकॉन सिटी” के रूप में स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। उनके कार्यकाल के दौरान, बेंगलुरु में कई विकास परियोजनाएं शुरू हुईं, जिसमें पहले फ्लाईओवर का उद्घाटन भी शामिल है। हालांकि, उनके कार्यकाल में कुछ विवाद भी उठे, जैसे कि अब्दुल करीम तेलगी घोटाला और कावेरी जल विवाद।
शोक संवेदनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृष्णा के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए उन्हें एक “असाधारण नेता” बताया, जिन्होंने हमेशा दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम किया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि राज्य उनके योगदानों के लिए हमेशा ऋणी रहेगा।
कृष्णा का अंतिम संस्कार बुधवार को मंड्या जिले के सोमनाहल्ली गांव में किया जाएगा।
व्यक्तिगत जीवन
कृष्णा एक पद्म विभूषण पुरस्कार विजेता और फुलब्राइट स्कॉलर थे। वे वोक्कालिगा समुदाय से आते थे और उनका जन्म 1 मई 1932 को मंड्या जिले में हुआ था। उनके निधन से न केवल कर्नाटक बल्कि पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है।
उनकी विदाई भारतीय राजनीति में एक युग का अंत है, जिसने कई नेताओं को प्रेरित किया और कर्नाटक की राजनीतिक धारा को आकार दिया।