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Free trade agreement: नहीं बनी बात, डोनाल्ड ट्रंप ने दिया अल्टीमेटम

Free trade agreement: अमेरिका द्वारा कुछ देशों पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ को अस्थायी रूप से रोका गया था, लेकिन उसकी यह छूट 9 जुलाई को समाप्त हो रही है। इस बीच अमेरिका ने यूके और वियतनाम जैसे कुछ देशों के साथ समझौता कर लिया है, जबकि भारत जैसे बड़े कारोबारी साझेदार के साथ अब तक कोई फाइनल डील नहीं हो सकी है।

डोनाल्ड ट्रंप का अल्टीमेटम

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को बताया कि उन्होंने 12 देशों को पत्र भेजकर स्पष्ट कर दिया है—या तो वे अमेरिका की शर्तों पर समझौता करें, या फिर नए टैरिफ का सामना करें। सूत्रों के मुताबिक इन 12 देशों में भारत भी शामिल है। इन पत्रों में संभावित टैरिफ और सेक्टर-वाइज इम्पैक्ट की जानकारी दी गई है।

भारत पर दबाव नहीं चलेगा: पीयूष गोयल

भारत सरकार इस मामले में अमेरिका के दबाव में झुकने को तैयार नहीं दिख रही है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में स्पष्ट कहा, “हम कभी भी किसी दबाव में आकर ट्रेड एग्रीमेंट नहीं करते। हमारी प्राथमिकता भारतीय उद्योग और किसानों का हित है।” उन्होंने कहा कि कोई भी सौदा तभी मान्य होगा जब वह भारत को प्रतिस्पर्धात्मक रूप से मजबूत बनाए और हमारे हितों की रक्षा करे।

कृषि और डेयरी बनी सबसे बड़ी बाधा

भारत-अमेरिका फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) में सबसे बड़ी रुकावट बनकर उभरा है—कृषि और डेयरी सेक्टर। अमेरिका चाहता है कि भारत मक्का, सोयाबीन जैसे कृषि उत्पादों और डेयरी आयात पर लगने वाले टैरिफ को कम करे। वहीं भारत का तर्क है कि इससे देश के छोटे किसानों और घरेलू डेयरी उद्योग पर सीधा असर पड़ेगा।

गोयल ने कहा कि अब तक भारत ने UK, ऑस्ट्रेलिया, UAE, मॉरिशस और EFTA देशों के साथ जो भी व्यापारिक समझौते किए हैं, उनमें किसानों के हितों को प्राथमिकता दी गई है। यही नीति अमेरिका के साथ भी बरती जाएगी।

भविष्य की सुरक्षा भी चाहता है भारत

भारत की एक और अहम मांग यह है कि अमेरिका के साथ होने वाले किसी भी समझौते में यह स्पष्ट प्रावधान हो कि भविष्य में कोई एकतरफा टैरिफ संशोधन या सेक्टोरल पाबंदी न लगे। भारत यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि उसे अमेरिका से चीन और वियतनाम जैसे अन्य एशियाई प्रतिस्पर्धियों की तुलना में बेहतर और स्थायी टैरिफ छूट मिले।

क्या होगा 9 जुलाई के बाद?

अगर दोनों देशों के बीच कोई अंतिम समझौता नहीं होता, तो 9 जुलाई के बाद भारत पर नए अमेरिकी टैरिफ लागू हो सकते हैं। इससे भारत के निर्यात पर असर पड़ सकता है, खासकर उन उत्पादों पर जो अमेरिका के बाजार में प्रमुखता से बिकते हैं।

फिलहाल, बातचीत के कई दौर के बाद भी कोई ठोस सहमति नहीं बनी है और भारत ने संकेत दे दिया है कि वह ‘देशहित’ से समझौता नहीं करेगा।

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