
One Nation One Election: भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक पर अपनी राय दी है। उन्होंने संसद की संयुक्त समिति को बताया कि यह विधेयक संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता, लेकिन इसमें कुछ बदलाव जरूरी हैं। खासकर, चुनाव आयोग की शक्तियों और आपातकालीन स्थितियों को और स्पष्ट करना होगा। यह खबर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो देश में एक साथ चुनाव की प्रक्रिया को समझना चाहते हैं।
One Nation One Election: चंद्रचूड़ ने क्या कहा?
पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि एक साथ चुनाव कराना संविधान के खिलाफ नहीं है। उन्होंने बताया कि आजादी के बाद भारत में पहले भी एक साथ चुनाव होते थे। इसलिए, इसे संविधान का हिस्सा माना जा सकता है। लेकिन, उन्होंने सुझाव दिया कि विधेयक में कुछ प्रावधानों को और साफ करना होगा। जैसे, अगर कोई विधानसभा समय से पहले भंग होती है, तो मतदाताओं के अधिकारों का ध्यान रखा जाए। उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय मुद्दों के दबने की चिंता गलत है। बल्कि, एक साथ चुनाव होने से स्थानीय मुद्दे राष्ट्रीय चर्चा का हिस्सा बन सकते हैं। उदाहरण के लिए, भाषा जैसे स्थानीय मुद्दे राष्ट्रीय स्तर पर उठ सकते हैं।
चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल
डी.वाई. चंद्रचूड़ और पूर्व मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर ने विधेयक की धारा 82ए(5) पर चिंता जताई। इस धारा में चुनाव आयोग को यह तय करने की शक्ति दी गई है कि कब विधानसभा चुनाव होंगे। खेहर ने कहा कि इस फैसले में संसद या केंद्रीय मंत्रिमंडल की राय शामिल होनी चाहिए। इससे भविष्य में कोई भ्रम नहीं होगा। चंद्रचूड़ ने यह भी सुझाव दिया कि अगर आपातकाल लागू हो या विधानसभा का कार्यकाल बहुत कम बचे, तो ऐसी स्थिति के लिए स्पष्ट नियम होने चाहिए। इससे कानूनी दिक्कतें कम होंगी।
समिति की भूमिका और भविष्य
संयुक्त समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद पीपी चौधरी ने कहा कि समिति विशेषज्ञों की राय का स्वागत करती है। उन्होंने बताया कि समिति का लक्ष्य विधेयक को बेहतर बनाना है। यह विधेयक देश के लिए ऐतिहासिक हो सकता है। अब तक चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों सहित कई विशेषज्ञ अपनी राय दे चुके हैं। ‘One Nation One Election’ से समय और पैसे की बचत होगी। साथ ही, बार-बार चुनावों से होने वाली परेशानियों से भी छुटकारा मिलेगा।