
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को राज्यसभा के लिए चार प्रतिष्ठित हस्तियों को नामित किया। इनमें मुंबई के बहुचर्चित सरकारी वकील उज्ज्वल निकम, केरल के समाजसेवी एवं शिक्षक सी. सदानंदन मास्टर, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और इतिहासकार मीनाक्षी जैन के नाम शामिल हैं। यह नामांकन उन सीटों को भरने के लिए किया गया है, जो पूर्व नामांकित सदस्यों के सेवानिवृत्त होने के बाद खाली हुई थीं।
उज्ज्वल निकम से पीएम मोदी ने की मराठी में बात
राज्यसभा सदस्य बनाए जाने पर उज्ज्वल निकम ने बताया कि उन्हें शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोन आया था। उन्होंने यह पूछते हुए बात शुरू की कि “हिंदी में बात करूं या मराठी में?” इसके बाद पीएम ने मराठी में ही बातचीत की, जिसे निकम ने भाषा सम्मान का प्रतीक बताया। इस इशारे को हिंदी-मराठी विवाद के बीच एक सौहार्द्रपूर्ण संदेश के रूप में देखा जा रहा है।
पीएम मोदी ने उज्ज्वल निकम से कहा कि “राष्ट्रपति चाहती हैं कि आप राज्यसभा में देश की सेवा करें।” इस प्रस्ताव को उज्ज्वल निकम ने तत्काल स्वीकार कर लिया।
26/11 केस के वकील रह चुके हैं उज्ज्वल निकम
निकम देश के उन गिने-चुने सरकारी वकीलों में हैं जिन्होंने कई हाई-प्रोफाइल मामलों में अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व किया है। 2008 के मुंबई आतंकी हमलों में उन्होंने कसाब को फांसी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हाल ही में वह 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर मुंबई उत्तर मध्य सीट से मैदान में उतरे थे, हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली थी।
भाषा पर राजनीति करने वालों को चेताया
उज्ज्वल निकम ने कहा कि कुछ ताकतें भाषा को हथियार बनाकर समाज में दरार डालने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन भारतीय संविधान की एकता और अखंडता को वे नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगी। उन्होंने यह भी कहा कि वह न्यायिक प्रक्रिया में सुधार लाने की दिशा में राज्यसभा के मंच से सक्रिय योगदान देने की कोशिश करेंगे।
26/11 साजिशकर्ताओं को अब तक फांसी न मिलना दुखद
निकम ने एक बार फिर इस बात पर अफसोस जताया कि 26/11 आतंकी हमलों के पीछे के मास्टरमाइंड अब तक सजा से बचे हुए हैं। उन्होंने इसे न्याय व्यवस्था की बड़ी विफलता बताया और कहा कि जन सुरक्षा कानून जैसे प्रस्तावों पर गंभीर चर्चा की जरूरत है ताकि आतंकवाद और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर सख्ती की जा सके।
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