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पाकिस्तान का बयान: सऊदी अरब के साथ रक्षा समझौता सिर्फ सुरक्षा सहयोग, परमाणु हथियार एजेंडे में नहीं

डेस्क: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि सऊदी अरब के साथ हाल ही में हुए रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते ने दोनों देशों के अब तक “लेन-देन आधारित” रहे संबंधों को औपचारिक रूप दे दिया है। इस समझौते पर पिछले सप्ताह रियाद में हस्ताक्षर हुए थे।

एक पाकिस्तानी पत्रकार ने आसिफ से पूछा कि क्या इस समझौते के तहत सऊदी अरब पाकिस्तान की “परमाणु सुरक्षा छतरी” के दायरे में आता है। इस पर आसिफ ने सीधा जवाब देने से इनकार किया और कहा कि ऐसे रक्षा समझौते आमतौर पर सार्वजनिक नहीं किए जाते।

पत्रकार ने अमेरिकी लेखक बॉब वुडवर्ड की किताब War (2024) का भी हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया है कि सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने एक अमेरिकी सीनेटर से कहा था, “मैं तो पाकिस्तान से बम खरीद सकता हूं।” इस पर आसिफ ने प्रतिक्रिया दी – “यह सिर्फ सनसनी फैलाने के लिए कही गई बात है। मैं उस कथन पर विश्वास नहीं करता।”

“परमाणु हथियार बेचने के धंधे में नहीं”

ख्वाजा आसिफ ने साफ किया कि पाकिस्तान परमाणु हथियार बेचने के व्यवसाय में नहीं है। उन्होंने कहा, “बिल्कुल नहीं। हम बहुत जिम्मेदार लोग हैं।”

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले आसिफ ने इशारा किया था कि पाकिस्तान की परमाणु क्षमताएं इस समझौते के तहत सऊदी अरब को उपलब्ध कराई जा सकती हैं। हालांकि बाद में उन्होंने एक साक्षात्कार में स्पष्ट कर दिया कि परमाणु हथियार इस समझौते का हिस्सा नहीं हैं और यह “एजेंडे में नहीं है।”

जब उनसे पूछा गया कि क्या यह समझौता कतर पर हालिया इजरायली हमले की प्रतिक्रिया में हुआ है, तो आसिफ ने कहा कि यह समझौता काफी समय से बातचीत में था। उन्होंने माना कि हाल की घटनाओं ने प्रक्रिया को तेज किया हो सकता है, लेकिन यह किसी घटना की प्रतिक्रिया नहीं है।

संयुक्त बयान में कहा गया कि यह रक्षा समझौता दोनों देशों के लगभग आठ दशकों पुराने सहयोग पर आधारित है, जो इस्लामी एकता, भाईचारे, साझा रणनीतिक हितों और गहरे रक्षा सहयोग को मजबूत करता है।

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