
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 80(1)(क) के तहत राज्यसभा के लिए चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को नामित किया है। इनमें प्रख्यात अधिवक्ता उज्ज्वल देवराव निकम, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, सामाजिक कार्यकर्ता सी. सदानंदन मास्टर और इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन शामिल हैं।
इन नामांकनों के जरिए राज्यसभा में उन सीटों को भरा गया है, जो पूर्व सदस्यों की सेवानिवृत्ति के कारण रिक्त थीं। राष्ट्रपति को यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 80(3) के अंतर्गत दिया गया है, जिसके तहत वे कला, साहित्य, विज्ञान और सामाजिक सेवा में विशेष योगदान देने वालों को उच्च सदन में मनोनीत कर सकती हैं।
उज्ज्वल निकम: आतंकवाद मामलों के अनुभवी वकील
उज्ज्वल निकम देश के सबसे चर्चित अभियोजकों में से एक हैं। उन्हें 26/11 मुंबई आतंकी हमलों, 1993 मुंबई बम धमाकों और प्रज्ञा ठाकुर से जुड़े मामलों में सरकारी पक्ष रखने के लिए जाना जाता है। हाल ही में बीजेपी ने उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव में मुंबई उत्तर मध्य से अपना उम्मीदवार भी बनाया था।
हर्षवर्धन श्रृंगला: विदेश नीति के अनुभवी रणनीतिकार
राजनीतिक और कूटनीतिक क्षेत्र में लंबे अनुभव वाले हर्षवर्धन श्रृंगला भारत के पूर्व विदेश सचिव रहे हैं। अपने करियर में वह अमेरिका, बांग्लादेश और थाईलैंड में भारत के राजदूत रह चुके हैं। 2023 में भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान वह मुख्य समन्वयक की भूमिका में भी रहे।
सी. सदानंदन मास्टर: संघर्ष और सेवा की मिसाल
केरल से आने वाले सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षक सी. सदानंदन मास्टर भाजपा से जुड़े हुए हैं। 1994 में राजनीतिक हिंसा के दौरान उनके दोनों पैर माकपा कार्यकर्ताओं ने काट दिए थे, इसके बावजूद वे जनसेवा में सक्रिय रहे। 2021 में भाजपा ने उन्हें विधानसभा चुनाव में भी मैदान में उतारा था।
डॉ. मीनाक्षी जैन: वैकल्पिक ऐतिहासिक दृष्टिकोण की पैरोकार
इतिहास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली डॉ. मीनाक्षी जैन दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर रह चुकी हैं। वह भारतीय इतिहास और संस्कृति के वैकल्पिक विमर्शों पर केंद्रित कई पुस्तकों की लेखिका हैं। शिक्षा और शोध के क्षेत्र में उनके योगदान को व्यापक सराहना मिली है।
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