बिलावल भुट्टो : ‘भारत सहयोग करे तो हाफिज सईद को सौंपने को तैयार…’

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रमुख और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने आतंकी हाफिज सईद को लेकर एक चौंकाने वाला बयान दिया है। भुट्टो ने कहा कि अगर भारत प्रत्यर्पण प्रक्रिया में सहयोग करे, तो पाकिस्तान हाफिज सईद को सौंपने पर विचार कर सकता है।
ये बयान उन्होंने अल जजीरा को दिए गए एक इंटरव्यू के दौरान दिया। भुट्टो से सवाल किया गया था कि क्या पाकिस्तान सद्भावना के तौर पर हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकियों को भारत को सौंप सकता है। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यदि भारत सहयोग करता है तो इस तरह की कार्यवाही में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए।
पाकिस्तान के बयानों पर भारत को क्यों नहीं होता भरोसा?
हालांकि भुट्टो के इस बयान के पीछे की वास्तविकता और मंशा पर सवाल उठना लाज़मी है। दरअसल, 26/11 मुंबई हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को 1000 से अधिक पक्के सबूतों के डोज़ियर सौंपे थे, लेकिन पाकिस्तान ने हाफिज सईद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उल्टा, सईद को घोषित आतंकी होने के बावजूद सुरक्षा और राजनीतिक संरक्षण मिलता रहा।
हाफिज सईद और मसूद अजहर पर क्या बोले बिलावल?
बिलावल भुट्टो ने दावा किया कि हाफिज सईद इस वक्त पाकिस्तान में कैद है और वह “स्वतंत्र रूप से घूम नहीं रहा।” जबकि मसूद अजहर के बारे में उन्होंने कहा कि “वह पाकिस्तान में नहीं है, हो सकता है वह अफगानिस्तान में छिपा हो।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत के पास मसूद अजहर के पाकिस्तान में छिपे होने का सबूत हो, तो उसे साझा करे, “हम उसे गिरफ्तार करने को तैयार हैं।”
भारत की ओर से अब तक क्या रुख रहा है?
भारत लंबे समय से यह आरोप लगाता रहा है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह और संसाधन देता है, और दुनिया के सामने ‘शांति और सहयोग’ की बातें करके छवि सुधारने की कोशिश करता है। हालांकि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जैसी संस्थाओं के दबाव में पाकिस्तान को कई बार मजबूरी में कुछ कार्रवाइयाँ करनी पड़ी हैं, पर उनका असर ज़मीनी स्तर पर नहीं दिखता।
पाकिस्तान की ‘डबल गेम’ नीति?
विशेषज्ञ मानते हैं कि बिलावल भुट्टो का बयान राजनीतिक दबाव में दिया गया हो सकता है जिससे पाकिस्तान की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुधारने की कोशिश की जा रही है। लेकिन जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ व्यवहारिक, पारदर्शी और निरंतर कदम नहीं उठाता, तब तक भारत को उस पर भरोसा करना मुश्किल ही रहेगा।
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