ज्योतिष
Today’s horoscope: महर्षि पाराशर पंचांग – दैनिक राशिफल-अथ पंचांगम्,दिनांक:- 11/04/2025, शुक्रवार चतुर्दशी, शुक्ल पक्ष,

**|| जय श्री राधे ||*** महर्षि पाराशर पंचांग अथ पंचांगम् ****ll जय श्री राधे ll****
दिनांक:- 11/04/2025, शुक्रवार चतुर्दशी,
शुक्ल पक्ष,
चैत्र“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि——— चतुर्दशी 27:21:00 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र——— उoफाo 15:09:17
योग————- ध्रुव 19:44:06
करण————- गर 14:08:56
करण———- वणिज 27:21:00
वार———————- शुक्रवार
माह———————— चैत्र
चन्द्र राशि—————- कन्या
सूर्य राशि—————— मीन
रितु————————-वसंत
आयन——————उत्तरायण
संवत्सर—————– विश्वावसु
संवत्सर (उत्तर) ————–सिद्धार्थी
विक्रम संवत————– 2082
गुजराती संवत———— 2081
शक संवत—————- 1947
कलि संवत—————- 5126
वृन्दावन
सूर्योदय————– 06:00:04
सूर्यास्त————— 18:40:39
दिन काल————-12:40:35
रात्री काल———— 11:18:22
चंद्रोदय————– 17:23:35
चंद्रास्त—————- 29:25:06
लग्न—- मीन 27°10′ , 357°10′
सूर्य नक्षत्र—————– रेवती
चन्द्र नक्षत्र——— उत्तर फाल्गुनी
नक्षत्र पाया—————— रजत
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
पा—- उत्तर फाल्गुनी 08:26:29
पी—- उत्तर फाल्गुनी 15:09:17
पू—- हस्त 21:52:49
ष—- हस्त 28:36:59
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य= मीन 27°40, रेवती 4 ची
चन्द्र= कन्या 05°30 , उ o फाo 3 पा
बुध =मीन 03°52 ‘ पू o भा o 4 दी
शु क्र= मीन 00°05, पू o फाo’ 4 दी
मंगल=कर्क 02°30 ‘ पुनर्वसु ‘ 4 ही
गुरु=वृषभ 23°30 रोहिणी, 4 वु
शनि=मीन 01°28 ‘ पू o भा o , 4 दी
राहू=(व) मीन 02°00 पू o भा o, 4 दी
केतु= (व)कन्या 02°00 उ oफा o 2 टो
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🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 🚩💮🚩
राहू काल 10:45 – 12:20 अशुभ
यम घंटा 15:31 – 17:06 अशुभ
गुली काल 07:35 – 09: 10अशुभ
अभिजित 11:55 – 12:46 शुभ
दूर मुहूर्त 08:32 – 09:23 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:46 – 13:36 अशुभ
वर्ज्यम 24:34* – 26:22 अशुभ
प्रदोष 18:41 – 20:58 शुभ
💮चोघडिया, दिन
चर 06:00 – 07:35 शुभ
लाभ 07:35 – 09:10 शुभ
अमृत 09:10 – 10:45 शुभ
काल 10:45 – 12:20 अशुभ
शुभ 12:20 – 13:55 शुभ
रोग 13:55 – 15:31 अशुभ
उद्वेग 15:31 – 17:06 अशुभ
चर 17:06 – 18:41 शुभ
🚩चोघडिया, रात
रोग 18:41 – 20:05 अशुभ
काल 20:05 – 21:30 अशुभ
लाभ 21:30 – 22:55 शुभ
उद्वेग 22:55 – 24:20* अशुभ
शुभ 24:20* – 25:45* शुभ
अमृत 25:45* – 27:09* शुभ
चर 27:09* – 28:34* शुभ
रोग 28:34* – 29:59* अशुभ
💮होरा, दिन
शुक्र 06:00 – 07:03
बुध 07:03 – 08:07
चन्द्र 08:07 – 09:10
शनि 09:10 – 10:14
बृहस्पति 10:14 – 11:17
मंगल 11:17 – 12:20
सूर्य 12:20 – 13:24
शुक्र 13:24 – 14:27
बुध 14:27 – 15:31
चन्द्र 15:31 – 16:34
शनि 16:34 – 17:37
बृहस्पति 17:37 – 18:41
🚩होरा, रात
मंगल 18:41 – 19:37
सूर्य 19:37 – 20:34
शुक्र 20:34 – 21:30
बुध 21:30 – 22:27
चन्द्र 22:27 – 23:23
शनि 23:23 – 24:20
बृहस्पति 24:20* – 25:16
मंगल 25:16* – 26:13
सूर्य 26:13* – 27:09
शुक्र 27:09* – 28:06
बुध 28:06* – 29:03
चन्द्र 29:03* – 29:59
🚩उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩
मीन > 04:44 से 06:04 तक
मेष > 06:04 से 07:44 तक
वृषभ > 07:44 से 09:44 तक
मिथुन > 09:44 से 12:02 तक
कर्क > 12:02 से 14:18 तक
सिंह > 14:18 से 16:32 तक
कन्या > 16:32 से 18:48 तक
तुला > 18:48 से 21:00 तक
वृश्चिक > 21:00 से 23:28 तक
धनु > 23:28 से 01:40 तक
मकर > 01:40 से 03:14 तक
कुम्भ > 03:14 से 04:38 तक
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🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल
ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
14 + 6 + 1 = 21 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
चन्द्र ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
14 + 14 + 5 = 33 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
रात्रि 27:21 से प्रारम्भ
पाताल लोक = धनलाभ कारक
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
*श्री नृसिंह दलोत्सव
*शिव दमनोत्सव चतुर्दशी
*शिव पूजन विशेष
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
श्वानपुच्छमिच व्यर्थ जीवितं विद्यया विना ।
न गुह्यगोपने शक्तं न च दंशनिवारणे ।।
।। चा o नी o।।
एक अनपढ़ आदमी की जिंदगी किसी कुत्ते की पूछ की तरह बेकार है. उससे ना उसकी इज्जत ही ढकती है और ना ही कीड़े मक्खियों को भागने के काम आती है.