West Bengal News: पश्चिम बंगाल की राजनीति में बड़ा झटका, सीपीएम के वरिष्ठ नेता दीपक सरकार का निधन, 80 वर्ष की आयु में ली अंतिम सांस
पश्चिम बंगाल, सीपीएम के वरिष्ठ नेता दीपक सरकार का निधन, 78 वर्ष की आयु में ली अंतिम सांस

West Bengal News: पश्चिम बंगाल की राजनीति को एक गहरा आघात लगा है। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) यानी सीपीएम के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक दीपक सरकार का निधन हो गया। 80 वर्षीय दीपक सरकार लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उन्होंने 14 अक्टूबर 2023 को कोलकाता के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनका निधन सुबह के समय हुआ, जिसकी खबर मिलते ही राजनीतिक दलों में शोक की लहर दौड़ गई। दीपक सरकार ने वामपंथी आंदोलन में दशकों तक सक्रिय भूमिका निभाई और पार्टी के संगठन को मजबूती प्रदान की। उनका जाना सीपीएम के लिए अपूरणीय क्षति है।
दीपक सरकार का जीवन परिचय
दीपक सरकार का जन्म 1943 में पश्चिम बंगाल के एक साधारण परिवार में हुआ। उन्होंने स्थानीय स्तर पर प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और 1960 के दशक में ही वामपंथी छात्र संगठन से जुड़ गए। युवावस्था में वे मजदूर और किसान आंदोलनों का हिस्सा बने। 1970 के दशक में सीपीएम की राज्य इकाई के सचिव बने और 1990 के दशक में विधानसभा चुनावों में सक्रिय रहे। वे दक्षिण 24 परगना क्षेत्र से कई बार विधायक चुने गए। वाम मोर्चा सरकार के दौरान विभिन्न विभागों में सलाहकार की भूमिका निभाई। उनकी विचारधारा मार्क्सवादी सिद्धांतों पर आधारित थी। वे हमेशा कहते थे, क्रांति का मार्ग कठिन है, लेकिन संघर्ष से ही न्याय मिलता है। उनके नेतृत्व में पार्टी ने कई स्थानीय चुनावों में सफलता हासिल की।
निधन पर शोक संदेश: सीपीएम से लेकर ममता तक श्रद्धांजलि
सीपीएम ने आधिकिक बयान जारी कर शोक व्यक्त किया। महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, दीपक सरकार हमारे आंदोलन के मजबूत स्तंभ थे। उनका निधन पार्टी के लिए गहरा दुख है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी, “दीपक सरकार एक अनुभवी राजनेता थे, जिन्होंने राजनीति को समर्पित जीवन जिया। उनके निधन पर गहरी संवेदना।” भाजपा और कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों ने भी संवेदनाएं व्यक्त कीं। अंतिम संस्कार कोलकाता में ही किया गया, जिसमें हजारों समर्थक शामिल हुए।
पार्टी के लिए चुनौती: नेतृत्व का पद खाली
दीपक सरकार के निधन से सीपीएम में एक महत्वपूर्ण नेतृत्व पद खाली हो गया। उनका जाना पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि वामपंथी आंदोलन में उनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा। पश्चिम बंगाल में वामपंथी राजनीति के इस दिग्गज के जाने से शोक की लहर है।