अहमदाबाद विमान हादसे पर उड्डयन मंत्री का बयान – अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट्स को बताया ‘भ्रामक’

12 जून 2025 को अहमदाबाद में एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 के दुर्घटनाग्रस्त होने के मामले में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू किंजरापु ने अमेरिकी मीडिया द्वारा पायलट की गलती बताए जाने वाली रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया है। उन्होंने इन रिपोर्ट्स को “अनुचित और जल्दबाज़ी” करार दिया और कहा कि अंतिम जांच रिपोर्ट आने से पहले किसी निष्कर्ष पर पहुँचना सही नहीं है।
क्या हुआ था उस दिन?
एयर इंडिया की बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर (AI171) लंदन के गैटविक एयरपोर्ट के लिए टेकऑफ के चंद सेकंड बाद ही बीजे मेडिकल कॉलेज हॉस्टल के पास क्रैश हो गई थी। हादसे में विमान के 242 यात्रियों और चालक दल के 241 सदस्यों समेत कुल 260 लोगों की मौत हुई। इनमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी शामिल थे। ब्रिटिश-भारतीय यात्री विश्वशकुमार रमेश ही एकमात्र व्यक्ति थे जो सीट 11A पर बैठे होने और आपात निकास के पास होने के कारण बच पाए।
प्राथमिक जांच में क्या सामने आया?
विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार टेकऑफ के तुरंत बाद दोनों इंजनों की ईंधन आपूर्ति अचानक रुक गई थी। ईंधन नियंत्रण स्विच “RUN” से “CUTOFF” पर चले गए, जिससे इंजन बंद हो गए। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में पायलटों के बीच बातचीत में यह सुनने को मिला कि एक पायलट ने दूसरे से पूछा, “आपने ईंधन क्यों बंद किया?” जवाब मिला, “मैंने नहीं किया।”
पायलट पर आरोप और विरोध
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि कैप्टन सुमीत सभरवाल ने गलती से ईंधन कंट्रोल स्विच बंद कर दिए थे। इस दावे का भारतीय पायलट संगठनों ने विरोध किया। ICPA और ALPA इंडिया ने आरोप लगाया कि बिना अंतिम निष्कर्ष के पायलट को दोष देना अनैतिक है और इससे पायलटों की छवि को नुकसान पहुँचता है।
उड्डयन मंत्री ने क्या कहा?
20 जुलाई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राम मोहन नायडू ने कहा कि कुछ विदेशी मीडिया संस्थान बिना सबूत जल्दबाज़ी में निष्कर्ष निकाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि ब्लैक बॉक्स की डिकोडिंग भारत में ही सफलतापूर्वक की गई है, और अमेरिका भेजे जाने की खबरें गलत हैं। उन्होंने AAIB की प्रक्रिया पर भरोसा जताते हुए कहा कि जांच अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार की जा रही है।
विशेषज्ञों की राय
फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) के प्रमुख सीएस रंधावा ने कहा कि यह हादसा जापान की 2019 की एक घटना जैसा हो सकता है, जिसमें थ्रस्ट रिवर्सर के कारण इंजन बंद हो गए थे। उन्होंने बोइंग पर थ्रस्ट कंट्रोल मॉड्यूल (TCMA) की अनदेखी का आरोप लगाया और सुझाव दिया कि जांच टीम में अनुभवी पायलट और इंजीनियर शामिल किए जाएं।
आगे क्या?
AAIB ने 8 जुलाई को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपी, लेकिन किसी निष्कर्ष या सुझाव को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। गृह मंत्रालय के नेतृत्व में बनी उच्च स्तरीय समिति तीन महीने में रिपोर्ट पेश करेगी।
सरकार और एयर इंडिया ने मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है – एयर इंडिया की ओर से 25 लाख रुपये और टाटा संस द्वारा 1 करोड़ रुपये अनुग्रह राशि के रूप में दिए जाएंगे।
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