IRCTC घोटाला: लालू राबड़ी और तेजस्वी पर अदालत ने तय किए आरोप, बोले मुकदमे का सामना करेंगे

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को IRCTC घोटाला मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव समेत 14 आरोपियों पर आरोप तय किए। अदालत ने माना कि प्रस्तुत साक्ष्यों से प्रथम दृष्टया यह साबित होता है कि आरोपियों ने सरकारी ठेकों में गड़बड़ी की और परिवार को इसका लाभ मिला।
अदालत में जब जज विशाल गोगने ने लालू से पूछा, “क्या आप अपना अपराध स्वीकार करते हैं?”, तो लालू, राबड़ी और तेजस्वी ने एक स्वर में कहा कि वे निर्दोष हैं और मुकदमे का सामना करेंगे। कोर्ट ने लालू यादव पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(d) और 13(2), जबकि राबड़ी और तेजस्वी पर IPC की धारा 420 और 120B के तहत ट्रायल चलाने का आदेश दिया।
जज ने कहा कि लालू यादव को बीएनआर होटलों के हस्तांतरण की पूरी जानकारी थी और मानदंडों में संशोधन कर लाभ पहुंचाया गया। अदालत ने यह भी माना कि राबड़ी और तेजस्वी को बेहद कम कीमत पर जमीन मिली, जो कॉन्ट्रैक्ट देने के एवज में दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई ने सबूतों की मजबूत चेन पेश की है, जिस पर आरोप तय करने के पर्याप्त आधार हैं।
लालू परिवार ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि यह मामला “राजनीतिक साजिश” का हिस्सा है। तेजस्वी यादव ने कहा, “हम न्यायपालिका पर भरोसा रखते हैं, सच सामने आएगा।” राबड़ी देवी ने भी कहा कि “यह साजिश बिहार की राजनीति को प्रभावित करने के लिए रची गई है।”
सीबीआई ने जुलाई 2017 में केस दर्ज किया था। आरोप है कि जब लालू रेल मंत्री थे, तब पुरी और रांची के बीएनआर होटल्स का रखरखाव अवैध रूप से सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया। बदले में लालू परिवार की बेनामी कंपनी डिलाइट मार्केटिंग (अब लारा प्रोजेक्ट्स) को तीन एकड़ जमीन बेहद सस्ते दाम पर दी गई।
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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इस केस में आरोप तय होना राजद के लिए बड़ा झटका है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा और जदयू इस मामले को भ्रष्टाचार बनाम सुशासन के मुद्दे पर भुनाने की कोशिश करेंगे। वहीं राजद इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” के रूप में पेश कर जनता की सहानुभूति हासिल करने में जुटी है।