Bihar Politics: बिहार गृह मंत्री सम्राट चौधरी को पुलिस का कंट्रोल, लेकिन IAS-IPS ट्रांसफर सिर्फ नीतीश कुमार करेंगे
सम्राट चौधरी गृह, जेल और आंतरिक सुरक्षा के फैसले लेंगे, जीएडी सीएम के पास रहने से प्रशासन पर नीतीश की मजबूत पकड़ बरकरार।

Bihar Politics: बिहार की नई एनडीए सरकार में विभागों का बंटवारा होने के बाद उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को गृह विभाग सौंपा गया है। इससे राज्य की पुलिस पर उनका पूरा कंट्रोल हो गया है। लेकिन आईएएस और आईपीएस अधिकारियों का ट्रांसफर, पोस्टिंग और प्रमोशन का फैसला सिर्फ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही लेंगे। यह व्यवस्था गठबंधन की एकता तो दिखाती है, लेकिन नीतीश की मजबूत पकड़ भी बरकरार रखती है। दो दशक बाद पहली बार जेडीयू ने गृह विभाग भाजपा को दिया, जो कानून-व्यवस्था पर सख्ती का संकेत है।
सम्राट चौधरी का कद बढ़ा, लेकिन नीतीश के पास प्रशासनिक पावर
सम्राट चौधरी को गृह मंत्री बनाकर बिहार पुलिस का पूरा जिम्मा सौंपा गया है। वे अब कानून-व्यवस्था, जेल और आंतरिक सुरक्षा के फैसले लेंगे। लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को नीतीश कुमार ने अपने पास रखा है। जीएडी राज्य के सभी विभागों का कंट्रोल सेंटर है। यहां से आईएएस, आईपीएस, बीएएस और बीपीएस अधिकारियों के तबादले, प्रमोशन और अनुशासन की कार्रवाई होती है। मतलब, गृह विभाग में तैनात किसी आईपीएस का ट्रांसफर करने के लिए भी नीतीश की मंजूरी जरूरी होगी। इससे सम्राट पुलिस को निर्देश दे सकेंगे, लेकिन बड़े फैसले सीएम के हाथ में रहेंगे।
गठबंधन में शक्ति संतुलन: जेडीयू ने गृह दिया, लेकिन जीएडी रखा
शुक्रवार को नीतीश कुमार ने 26 मंत्रियों में विभाग बांटे। सम्राट चौधरी को गृह मिला, लेकिन नीतीश ने जीएडी, मंत्रिमंडल सचिवालय, निगरानी, निर्वाचन और बाकी बचे विभाग अपने पास रखे। बिहार में जीएडी हमेशा सीएम के पास ही रहता है, जो प्रशासन पर मजबूत पकड़ देता है। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि यह एनडीए की रणनीति है। जेडीयू ने भाजपा को मजबूत करके गठबंधन बचाया, लेकिन सत्ता की असली चाबी अपने पास रखी। इससे सम्राट का कद तो बढ़ेगा, लेकिन नीतीश का वर्चस्व बना रहेगा।
कानून-व्यवस्था पर फोकस: अपराधियों को चेतावनी, सुशासन का वादा
सम्राट चौधरी ने अपराधियों को साफ चेतावनी दी है कि बिहार अब अपराध का अड्डा नहीं रहेगा। वे या तो सुधरें या राज्य छोड़ दें। गृह विभाग मिलने से पुलिस पर उनकी पकड़ मजबूत हुई है। पिछले दिनों बेगूसराय में एनकाउंटर इसका उदाहरण है। नीतीश सरकार सुशासन लाने का दावा कर रही है। जनता उम्मीद कर रही है कि इससे अपराध कम होंगे और विकास तेज होगा। लेकिन ट्रांसफर पावर सीएम के पास रहने से बड़े बदलाव में समय लग सकता है। बिहार की राजनीति में यह नया समीकरण गठबंधन को और मजबूत करेगा।



