PM Modi: पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में वंदे मातरम पर बहस के दौरान बंगाल की आजादी की लड़ाई को याद किया। उन्होंने कहा कि यह गीत देशभक्ति का प्रतीक है, जो ब्रिटिश राज में लोगों को ताकत देता था। विपक्ष पर निशाना साधते हुए पीएम ने कांग्रेस को मुस्लिम लीग के आगे झुकने का आरोप लगाया। यह बहस संसद के शीतकालीन सत्र में हुई, जो जल्द ही राजनीतिक रंग ले लेती है। बंगाल को केंद्र में रखकर मोदी ने ऐतिहासिक तथ्यों का जिक्र किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि वंदे मातरम सिर्फ गीत नहीं, बल्कि बलिदान और एकता का मंत्र है। इस बहस ने पुरानी यादें ताजा कर दीं और वर्तमान राजनीति को निशाना बनाया।
बंगाल की भूमिका: ब्रिटिशों का ‘फूट डालो’ खेल
पीएम मोदी ने बताया कि बंगाल हमेशा से स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र रहा। ब्रिटिशों को पता था कि बंगाल की बुद्धिमत्ता पूरे देश को दिशा देती है। इसलिए 1905 में उन्होंने बंगाल को बांट दिया, ताकि राष्ट्र कमजोर हो जाए। लेकिन वंदे मातरम ने सबको एकजुट रखा। यह गीत पत्थर की तरह अडिग खड़ा रहा। मोदी ने कहा, “अंग्रेज भी जानते थे कि बंगाल की ताकत देश की ताकत है।” उन्होंने वंदे मातरम को स्वतंत्रता का मंत्र बताया, जो ऊर्जा, समर्पण और त्याग सिखाता है। यह गीत लोगों को मुश्किलों का सामना करने की हिम्मत देता था। बंगाल के बुद्धिजीवियों ने इसे अपना हथियार बनाया। इस बहस में मोदी ने बंगाल की गौरवशाली विरासत को रेखांकित किया, जो आज भी प्रेरणा देती है। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे यह गीत ब्रिटिश दमन के खिलाफ आवाज बन गया। बंगाल विभाजन के बाद भी वंदे मातरम ने एकता की मिसाल कायम रखी। पीएम का यह बयान बंगाल के लोगों को सीधे संबोधित करता है, जो आजादी की लड़ाई में अग्रणी थे।
कांग्रेस का समझौता: मुस्लिम लीग के आगे सिर झुकाया?
मोदी ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि 1937 में मुहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ से वंदे मातरम के खिलाफ नारा लगाया। जवाहरलाल नेहरू ने भी चिंता जताई कि आनंदमठ की पृष्ठभूमि से मुसलमानों को ठेस पहुंच सकती है। इसके बाद कांग्रेस ने 26 अक्टूबर से बंगाल में गीत के इस्तेमाल की समीक्षा की और इसे सीमित कर दिया। पीएम ने इसे सामाजिक सद्भाव का बहाना बताते हुए कहा कि कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेक दिए। यह अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की राजनीति थी, जिससे आखिरकार देश का बंटवारा हुआ।
मोदी ने कांग्रेस को “मुस्लिम लीग कांग्रेस” कहकर आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि आज भी कांग्रेस और उसके सहयोगी वंदे मातरम का विरोध करते हैं। नेहरू का नेताजी सुभाष चंद्र बोस को पत्र इसका सबूत है। पीएम ने कहा कि कांग्रेस ने राष्ट्र प्रतीक पर समझौता किया, जो देश के लिए नुकसानदेह था। इस बहस ने संसद में हंगामा मचा दिया। विपक्ष ने इसका जवाब नहीं दिया, लेकिन मोदी का भाषण ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित था। उन्होंने जोर दिया कि वंदे मातरम को कभी कमजोर नहीं किया जा सकता। यह विवाद अब राजनीतिक दलों के बीच तनाव बढ़ा रहा है।



