मिले सुर मेरा तुम्हारा और अबकी बार मोदी सरकार जैसे विज्ञापन बनाने वाले एड गुरु पीयूष पांडे का निधन

भारतीय विज्ञापन उद्योग को शुक्रवार को एक अपूरणीय क्षति हुई जब प्रसिद्ध क्रिएटिव डायरेक्टर और ‘एड गुरु’ के नाम से मशहूर पीयूष पांडे का निधन हो गया। 70 वर्षीय पांडे ने भारतीय विज्ञापन को एक अनोखी आवाज दी, जो हिंदुस्तानी संस्कृति, हास्य और भावनाओं से ओतप्रोत थी। उनका निधन एक संक्रमण से जूझने के बाद हुआ, और यह खबर ने पूरे उद्योग को शोक की लहर में डुबो दिया।
ओगिल्वी इंडिया से जुड़े चार दशकों के अपने सफर में पांडे ने ब्रांड्स को न केवल बेचा, बल्कि उन्हें जीवंत बना दिया। जयपुर में 1955 में जन्मे पीयूष ने अपनी शुरुआती जिंदगी में क्रिकेट खेला (राजस्थान के लिए रणजी ट्रॉफी), चाय टेस्टिंग की और यहां तक कि कंस्ट्रक्शन वर्क भी किया। लेकिन 1982 में ओगिल्वी जॉइन करने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक ट्रेनी अकाउंट एक्जीक्यूटिव से शुरू होकर वे चीफ क्रिएटिव ऑफिसर वर्ल्डवाइड और एक्जीक्यूटिव चेयरमैन इंडिया तक पहुंचे।
आइकॉनिक कैंपेन जो बने घर-घर की पहचान
पीयूष पांडे की क्रिएटिविटी ने विज्ञापन को एलीट और अंग्रेजी-केंद्रित दुनिया से निकालकर आम भारतीय की भाषा में ढाला। कुछ चुनिंदा कैंपेन जो उनकी देन हैं:
- एशियन पेंट्स: “हर खुशी में रंग लाए” – जो खुशियों को रंगों से जोड़ती है।
- कैडबरी: “कुछ खास है जो हम सबमें” – जिसने चॉकलेट को भावनाओं का प्रतीक बना दिया।
- फेविकॉल: “अंडे का विज्ञापन” – चिपकाने वाली ताकत को हास्य से पेश किया।
- हच/वोडाफोन: पग वाला ऐड और “Wherever you go, our network follows” – जो आज भी याद किया जाता है।
- जूजू कैंपेन: वोडाफोन के लिए क्रिएटिव व्हिम्सी।
- राजनीतिक मोर्चे पर “अबकी बार मोदी सरकार” – 2014 के चुनावी कैंपेन का स्लोगन, जो राजनीतिक इतिहास का हिस्सा बन गया।
वे “मिले सुर मेरा तुम्हारा” के लिरिसिस्ट भी थे, जो राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बना। इसके अलावा, उन्होंने फिल्म “भोपाल एक्सप्रेस” का स्क्रीनप्ले लिखा और जॉन अब्राहम की फिल्म में एक्टिंग भी की। उनकी किताब पांडेमोनियम (2015) उनके सफर और विज्ञापन की दुनिया की झलक देती है।
पांडे को पद्म श्री (2016) और कांस लायंस इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ क्रिएटिविटी में पहला एशियन जूरी प्रेसिडेंट (2004) समेत कई सम्मान मिले। वे एलआईए लेजेंड अवॉर्ड (2024) के हकदार भी थे।
शोक संदेशों की बाढ़
पीयूष पांडे के निधन पर पूरे देश से शोक संदेश आ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया: “श्री पीयूष पांडे जी एक टाइटन और भारतीय विज्ञापन के लेजेंड थे। उन्होंने कम्युनिकेशन को रोजमर्रा की बोली, मिट्टी से जुड़े हास्य और सच्ची गर्मजोशी से बदल दिया। उनके जाने से दुखी हूं। उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ मेरी संवेदनाएं।”
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा: “विज्ञापन जगत का एक युग समाप्त हो गया।” उद्योगपति सुहेल सेठ ने उन्हें “सच्चा देशभक्त और जेंटलमैन” कहा। उनके भाई प्रसून पांडे (क्रिएटिव डायरेक्टर) और बहन इला अरुण (गायिका) के परिवार को भी गहरा सदमा पहुंचा है।
पीयूष पांडे ने कहा था, “अच्छा विज्ञापन दिल को छूता है, दिमाग को नहीं।” उनकी विरासत आज भी विज्ञापनों में जीवित है – एक ऐसी विरासत जो पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। भारतीय विज्ञापन ने अपना ‘गोंद’ खो दिया, लेकिन उनकी कहानियां हमेशा चिपकी रहेंगी।
ये भी पढ़ें: MBBS Seats In India 2025: भारत में एमबीबीएस सीटों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी, पहुंचीं 1 लाख 37 हजार 600 तक



