बिहार चुनाव 2025: कांग्रेस में टिकट बिक्री का बवाल, विधायक अफाक आलम ने जारी किया ऑडियो

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नामांकन की अंतिम तारीख नजदीक आते ही महागठबंधन में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस के अंदर टिकट वितरण को लेकर घमासान मच गया है, जहां चार बार विधायक रह चुके पूर्व मंत्री अफाक आलम ने पार्टी नेतृत्व पर पैसे लेकर सीट बेचने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम के साथ हुई कथित फोन बातचीत का ऑडियो टेप जारी कर दावा किया कि पप्पू यादव ने पैसा लेकर इरफान आलम को कसबा विधानसभा सीट का टिकट दिलाया। आलम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसे ‘लोकतंत्र का हनन’ बताते हुए समर्थकों से बगावत का आह्वान किया। यह विवाद कांग्रेस की दूसरी उम्मीदवार सूची के साथ ही भड़का, जिसमें कसबा से इरफान को टिकट दिया गया। पार्टी नेतृत्व ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सूत्रों के अनुसार हाईकमान ने जांच के संकेत दिए हैं।
अफाक आलम ने सोशल मीडिया पर जारी ऑडियो में दावा किया कि राजेश राम ने उन्हें बताया, “तुम्हारा नाम फाइनल था, लेकिन पप्पू यादव ने पैसा लेकर इरफान को टिकट दे दिया।” आलम ने कहा कि उनके साथ ब्लैकमेल किया गया, पैसों की उगाही हुई और वह पप्पू यादव के पास जमा हुआ। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, “ऐसे लोगों को मुंहतोड़ जवाब दें जो पैसा लेकर टिकट बांट रहे हैं। आने वाली नस्लों को सबक सिखाना जरूरी है।” पूर्णिया जिले की कसबा सीट से चार बार विधायक रह चुके आलम बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। इस बार टिकट कटने से नाराज आलम ने कहा कि पार्टी में धनबल का बोलबाला हो गया है, जहां जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही है।
कांग्रेस की दूसरी सूची में पांच नाम
कांग्रेस ने शनिवार देर रात अपनी दूसरी सूची जारी की, जिसमें पांच उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। कसबा से इरफान आलम को टिकट देकर आलम विवाद भड़का दिया। सूची में पूर्णिया से जितेंद्र यादव (पूर्व जदयू नेता, पप्पू यादव से जुड़े) और गया टाउन से मोहन श्रीवास्तव जैसे नाम हैं। जितेंद्र यादव को जदयू ने पप्पू यादव से निकटता के आरोप में निष्कासित किया था, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट देकर राजनीतिक समीकरण बदल दिए। कुल 53 उम्मीदवारों की घोषणा के साथ कांग्रेस ने महागठबंधन में 70 सीटों पर दावा मजबूत करने की कोशिश की, लेकिन आंतरिक कलह से वोट बंटवारे का खतरा बढ़ गया।
शनिवार को पटना में कांग्रेस के रिसर्च सेल अध्यक्ष आनंद माधव, पूर्व प्रत्याशी गजानंद शाही, छत्रपति तिवारी, नागेंद्र प्रसाद विकल, रंजन सिंह, बच्चू प्रसाद सिंह और बंटी चौधरी सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और राजेश राम पर पक्षपात के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि टिकट वितरण में जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर ‘धनबल वाले चेहरों’ को तरजीह दी गई। आनंद माधव ने कहा, “प्रदेश इकाई कुछ नेताओं के निजी दलालों के हाथों बंधक बन गई है। वैचारिक पहचान खो रही है।” नेताओं ने हाईकमान से समीक्षा की मांग की। सूत्रों के मुताबिक, AICC ने विवाद को गंभीरता से लिया है और टिकट प्रक्रिया की जांच के संकेत दिए हैं। इससे पहले पटना एयरपोर्ट पर कांग्रेस गुटों के बीच हंगामा भी हुआ।
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नामांकन की अंतिम तारीख 20 अक्टूबर नजदीक है, लेकिन महागठबंधन में सीट शेयरिंग का पेंच कसा हुआ है। RJD ने कई सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए, जबकि JMM ने गठबंधन छोड़ दिया। कांग्रेस का यह आंतरिक विवाद एनडीए के लिए वरदान साबित हो सकता है, जो अपनी तीसरी सूची जारी कर एकजुटता दिखा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि बगावत बढ़ी, तो महागठबंधन को 10-15 सीटों का नुकसान हो सकता है। पप्पू यादव का नाम बार-बार आना भी विवाद को हवा दे रहा है, जो निर्दलीय सांसद के रूप में पूर्णिया में सक्रिय हैं।



