
Business News: दूध और दुग्ध उत्पादों के शौकीनों के लिए खुशहाल खबर है। देशभर में दूध के दाम 2 रुपये प्रति लीटर घटा दिए गए हैं। इसके साथ ही घी, पनीर और आइसक्रीम जैसे प्रोडक्ट्स के दामों में भी कमी आई है। यह राहत जीएसटी काउंसिल के हालिया बदलावों का नतीजा है, जो उपभोक्ताओं को सीधा फायदा पहुंचाएगा। गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को इससे महंगाई की मार से थोड़ी राहत मिलेगी।
यह फैसला जीएसटी काउंसिल की नई नीति के तहत लिया गया है। पहले दूध और दूध से बने उत्पादों पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगता था, लेकिन अब इसे 3 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है। इससे डेयरी कंपनियों ने खुद ही दाम घटाने का ऐलान किया। अमूल, मदर डेयरी और नेस्ले जैसी बड़ी कंपनियां इस बदलाव को लागू कर रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और ग्राहकों को सस्ते में अच्छी क्वालिटी मिलेगी।
जीएसटी में बदलाव कैसे हुआ?
जीएसटी काउंसिल ने अपनी 50वीं बैठक में दूध उत्पादों पर टैक्स स्ट्रक्चर को सरल बनाने का फैसला किया। काउंसिल के चेयरमैन और वित्त मंत्री ने कहा कि यह कदम जरूरी था क्योंकि दूध जरूरी वस्तु है। बदलाव के बाद दूध पर 2 रुपये की कमी आई, जबकि घी के दाम 5 रुपये प्रति किलो और पनीर के 10 रुपये प्रति किलो सस्ते हुए। आइसक्रीम पर भी 3-4 रुपये प्रति लीटर की छूट मिली है।
यह बदलाव पूरे देश में 15 सितंबर से लागू हो गया। डेयरी फेडरेशन के मुताबिक, इससे किसानों को भी फायदा होगा क्योंकि उत्पादन बढ़ेगा। लेकिन कुछ राज्यों में अभी पूरी तरह लागू नहीं हुआ है। उपभोक्ता संगठनों ने इसकी सराहना की है और कहा कि सरकार को अन्य जरूरी चीजों पर भी टैक्स कम करना चाहिए।
उपभोक्ताओं को क्या फायदा?
सिर्फ दूध ही नहीं, बल्कि रोजमर्रा के उत्पाद जैसे दही, लस्सी और मिठाई के दाम भी प्रभावित होंगे। एक औसत परिवार जो महीने में 50 लीटर दूध खरीदता है, उसे 100 रुपये की बचत होगी। घी और पनीर के शौकीनों को 200-300 रुपये तक फायदा हो सकता है। बाजार में दुकानदारों ने बोर्ड लगा दिए हैं कि ‘दूध सस्ता, खुशियां बांटो’।
दूध उत्पादों के नए दाम
दूध: 48 रुपये प्रति लीटर (पहले 50 रुपये)
घी: 550 रुपये प्रति किलो (पहले 555 रुपये)
पनीर: 320 रुपये प्रति किलो (पहले 330 रुपये)
आइसक्रीम: 200 रुपये प्रति लीटर (पहले 204 रुपये)
विशेषज्ञों की राय
एक अर्थशास्त्री ने कहा, “यह छोटा लेकिन महत्वपूर्ण कदम है। महंगाई पर काबू पाने के लिए ऐसे फैसले जरूरी हैं। डेयरी इंडस्ट्री के प्रतिनिधि ने बताया कि उत्पादन लागत कम होने से किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे। लेकिन किसान संगठनों ने मांग की है कि दूध खरीद पर सब्सिडी भी बढ़े।