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रांची के अनुसंधानकर्ताओं के लिए क्षमता निर्माण सह कानूनी जागरूकता कार्यक्रम सम्पन्न

रांची : झालसा के निर्देश पर एवं न्यायायुक्त-सह-अध्यक्ष, जिला विधक सेवा प्राधिकार, रांची के मार्गदर्शन में रांची जिला के सभी थानों से आये जांच अधिकारियों (इंवेस्टीगेटिंग ऑफिशर) के लिए क्षमता निर्माण सह कानूनी जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन व्यवहार न्यायालय, रांची के मीटिंग हॉल में किया गया। इस अवसर पर अतिथियों के रूप में एजेसी-15, श्री अमित शेखर, एजेसी-1, पी.ओ. एम.ए.सी.टी., श्री मनीष, श्री योगेश कुमार, एजेसी-4-सह-पोक्सो जज, मो. आशीफ ईकबाल, पी.पी., श्री अनिल सिंह, डालसा सचिव, श्री कमलेश बेहरा, एलएडीसी चीफ, श्री प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, एलएडीसी डिपूटी, कविता खाती, एलएडीसी सहायक, शिवानी सिंह, रांची जिला के सभी थानों से आये जांच अधिकारी, पीएलवी, कर्मचारी समेत अन्य लोग उपस्थित थे।
जांच अधिकारियों के लिए क्षमता निर्माण-सह-कानूनी जागरूकता कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित कर किया गया। स्वागत भाषण डालसा सचिव ने देकर सभी मुख्य अतिथियों का पूरे गर्मजोशी के साथ स्वागत किया।
मुख्य अतिथि एजेसी-15, श्री अमित शेखर ने अपने वक्तव्य में कहा कि बहुत सारे अनुसंधान ऐसे होते हैं, जिसे अनुसंधान के दौरान जांच अधिकारियों को लाना होता है, तो जांच अधिकारी उसे नहीं ला पाते। त्रुतिटपूर्ण अनुसंधान होने के कारण खामियाजा पी.पी को भुगतना पड़ता हैं। आगे उन्होंने कहा कि अनुसंधान सही तरीके से नहीं होने के कारण दोषियों को लाभ मिल जाता है। इसके अलावा उन्होंने उपस्थित सभी जांच अधिकारियों से कहा कि आज का कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सभी अधिकारियों को अनुसंधान के कड़ियों को बारीकी से समझना है। इसके फलस्वरूप उन्होंने अनुसंधान के कड़ियों को पृथक कर समझाया।
इसके अलावा उन्होंने सेक्शन-42, डॉक्युमेंटेशन के बारें में बतायें। उन्होंने एनडीपीएस एक्ट पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सभी जांच अधिकारियों को यह जानना आवश्यक हैं कि समय-सीमा के भीतर रिपोर्ट तैयार करें। जब्त पदार्थों को समय सीमा पर मैजिस्ट्रेट के पास भेजे। जब्त सामग्रियों के जब्ती तथा भंडारण के बारे में भी उपस्थित लोगों को बताया गया। इसके अलावा उन्होंने एनडीपीएस एक्ट के सेक्शन – 50 के बारे में विस्तार से जानकारी दिये।
पी.ओ. एम.ए.सी.टी., श्री मनीष ने मोटर वाहन दुर्घर्टना में मिलने वाले मुआवजा के बारे में जानकारी दिये। उन्होंने कहा कि जांच अधिकारियों के द्वारा जांच सही होगा तो पीड़ित या पीड़िता के घरवालों को जल्द-से-जल्द मुआवजा मिलने में कोई परेशानी नहीं होगी। उन्होंने सभी जांच अधिकारियों को उच्च न्यायालय के आदेश और ऑर्डर को पूरी तरह से फॉलो करने की बातें कहीं। दुर्घटना होने पर एफ.आई.आर. का एक कॉपी इंशुरेंश कंपनी, एक कॉपी एमएसीटी कोर्ट में भी देने पर बल दिया। आगे उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटना होने पर जांच अधिकारी घटनास्थल पर जायें और फोटो लें, वीडीओ शूट करें तथा स्क्रैपमैप तैयार करें। उन्होंने फॉर्म-1 48 घंटे के भीतर तैयार कर इंशुरेंश कंपनी व एमएसीटी कोर्ट में देने की बातें कहीं। उन्होंने क्रमशः फॉर्म 1 से लेकर फॉर्म-6 तैयार समय सीमा पर करने की बातें कहीं।
एजेसी-1, श्री योगेश कुमार ने उपस्थित जांच अधिकारियों को सी.डी.आर. संग्रह करने और सेक्शन-65 के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
एजेसी-4, मो. आशीफ ईकबाल ने उपस्थित जांच अधिकारियों को पोक्टसो एक्ट के बारे में बताया। उन्होंने पीड़िता की पहचान, मेडिकल जांच, 164 का बयान पर जोर देते हुए पोक्सो एक्ट- के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला।
पी.पी., श्री अनिल सिंह ने अपने वक्तव्य में सभी जांच अधिकारियों को विभिन्न उदाहरण देकर निष्पक्ष और उचित जांच संबंध में विस्तार पूर्वक अपने बातों को रखा।
धन्यवाद ज्ञापन एल.ए.डी.सी. सहायक सुश्री शिवानी सिंह ने दिया।
सचिव
जिला विधिक सेवा प्राधिकार, रांची

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