झारखंड नगर निकाय चुनाव, हाईकोर्ट ने हेमंत सरकार को लगाई फटकार, तारीख बताने पर सवालों का तीर
झारखंड निकाय चुनाव में देरी, हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई कड़ी फटकार, अगली सुनवाई 24 को
Jharkhand News: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नगर निकाय चुनाव में देरी को लेकर कड़ी फटकार लगाई है। सोमवार को कोर्ट में दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिसों ने राज्य निर्वाचन आयोग से सवाल किया कि चुनाव की तारीख अब तक क्यों घोषित नहीं की गई? सरकार ने ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया पूरी होने का दावा किया, लेकिन कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ। अगली सुनवाई 24 नवंबर को तय की गई है। यह फैसला राज्य की राजनीति में हलचल मचा रहा है। हेमंत सोरेन सरकार पर विपक्ष ने भ्रष्टाचार और देरी का आरोप लगाया है। झारखंड नगर निकाय चुनाव हाईकोर्ट फटकार ने स्थानीय निकायों की मजबूती पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हाईकोर्ट की नाराजगी: ‘तारीख क्यों नहीं बताते?’
झारखंड हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों से कड़े सवाल किए। जस्टिस ने कहा, “चुनाव की तारीख घोषित करने में इतनी देरी क्यों? क्या सरकार ट्रिपल टेस्ट के नाम पर बहाना बना रही है?” आयोग ने जवाब दिया कि सरकार से जनसंख्या और आरक्षण संबंधी अतिरिक्त जानकारी मांगी गई है, जो अभी तक नहीं मिली। इससे चुनावी तैयारियां रुकी हुई हैं। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि मांगी गई जानकारी तुरंत उपलब्ध कराएं। झारखंड नगर निकाय चुनाव हाईकोर्ट फटकार में कोर्ट ने आयोग को भी चुनावी तैयारियां तत्काल शुरू करने को कहा। यह याचिका रोशनी खालको और अन्य ने दाखिल की है, जो देरी को अवमानना मान रही हैं।
ट्रिपल टेस्ट क्या है? देरी का मुख्य कारण
ट्रिपल टेस्ट एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें सीटों का आरक्षण जनसंख्या के आधार पर तय किया जाता है। इसमें तीन चरण हैं: जनसंख्या सर्वे, आरक्षण का निर्धारण और अंतिम मंजूरी। सरकार का कहना है कि प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और रिपोर्ट आयोग को भेज दी गई है। लेकिन आयोग ने कुछ अतिरिक्त डेटा मांगा है, जो जल्द मिलेगा। सरकार के वकील ने कहा, “ट्रिपल टेस्ट के बाद तीन महीने में चुनाव करवा देंगे।” कोर्ट ने स्पष्ट किया कि देरी बर्दाश्त नहीं। झारखंड नगर निकाय चुनाव हाईकोर्ट फटकार ने सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाए हैं। विपक्षी नेता ने कहा, “सरकार चुनाव टालकर सत्ता टिकाने का खेल खेल रही है।”
राजनीतिक प्रभाव: विपक्ष का हल्ला, सरकार पर दबाव
झारखंड नगर निकाय चुनाव हाईकोर्ट फटकार ने राज्य की राजनीति को गरमा दिया है। विपक्षी दलों ने इसे सरकार की विफलता बताया। भाजपा नेता ने कहा, “हेमंत सोरेन सरकार स्थानीय निकायों को कमजोर कर रही है।” झामुमो ने पलटवार किया कि ट्रिपल टेस्ट जरूरी है। लेकिन कोर्ट का फैसला सरकार पर दबाव बढ़ाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि देरी से विकास कार्य रुक जाते हैं। नगर निकाय चुनावों में आरक्षण का मुद्दा हमेशा संवेदनशील रहा है। पिछले चुनाव 2018 में हुए थे, अब चार साल से देरी हो रही है। कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में देरी स्वीकार्य नहीं।



