डेस्क: देश की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo इन दिनों अपने सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है। हज़ारों यात्री फँसे हुए हैं, एयरपोर्ट्स पर लंबी-लंबी लाइनें लगी हैं और लोगों की परेशानियाँ बढ़ती जा रही हैं। इस बीच राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी तेज़ हो गए हैं।
यात्रियों की बेबसी – मानवीय दर्द साफ दिखा
दिल्ली एयरपोर्ट से सामने आई कई वीडियोज़ में देखा गया कि लोग घंटों से फ्लाइट का इंतज़ार कर रहे थे। कई यात्री छोटे बच्चों के साथ फँसे रहे, कुछ के मेडिकल अपॉइंटमेंट छूट गए, तो कुछ की विदेश जाने वाली फ्लाइटें कैंसिल हो गईं।
ऐसे हालात में सबसे ज़्यादा चोट उन आम लोगों को लगती है जिनकी हर यात्रा किसी ज़रूरी काम, उम्मीद या सपने से जुड़ी होती है।
राजनीतिक घमासान – आरोपों की उड़ान
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार IndiGo पर इसीलिए दबाव नहीं बना रही क्योंकि उसने इलेक्टोरल बांड्स के जरिए चंदा दिया था। उन्होंने पूँजीपतियों के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता जताई और कहा कि सरकार अब खुद को “बचाने की कोशिश” में लगी दिखती है।
IndiGo का बयान – हालात सुधारने की कोशिश जारी
कंपनी ने दावा किया कि स्थिति धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है:
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138 में से 137 डेस्टिनेशन्स पर उड़ानें फिर शुरू
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फ्लाइट संख्या 1500 से बढ़कर 1650 के करीब
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ऑन-टाइम परफॉर्मेंस 30% से बढ़कर 75%
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15 दिसंबर 2025 तक सभी टिकटों पर फ्री कैंसिलेशन और रीशेड्यूलिंग
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रिफंड और बैगेज क्लेम “फुल स्पीड” से प्रोसेस
यह कदम निश्चित रूप से उन यात्रियों के लिए राहत का कारण है जो पिछले दो दिनों से परेशान थे।
निष्कर्ष – सबसे ज़्यादा चोट आम आदमी को
चाहे तकनीकी समस्या हो, राजनीतिक विवाद हो या प्रबंधन की चूक —सबसे बड़ा नुकसान हमेशा उस आम यात्री को होता है जो ईमानदारी से टिकट खरीदकर अपनी मंज़िल तक पहुँचना चाहता है। उम्मीद है कि फ्लाइट्स जल्द ही पूरी तरह सामान्य हों और यात्रियों की तकलीफ़ खत्म हो।



