Jharkhand High Court: झारखंड सहायक अभियंता भर्ती नियमावली पर हाईकोर्ट की कड़ी चेतावनी, 'परामर्श के बहाने का खेल कब तक चलेगा?'
नियमावली न बनने पर कोर्ट नाराज, 'जानबूझकर टालमटोल' बताया, अगली सुनवाई 13 नवंबर को।

Jharkhand High Court: झारखंड हाईकोर्ट ने सहायक अभियंता की नियुक्ति और प्रोन्नति नियमावली तैयार न होने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने इसे जानबूझकर टालमटोल बताया और चेतावनी दी कि अगली सुनवाई तक नियमावली न तैयार होने पर इसे आदेश की अवहेलना माना जाएगा। सोमवार को जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की बेंच ने सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से दिए गए बहानों पर नाराजगी जताई। अदालत ने मुख्य सचिव को दोपहर में हाजिर होने का निर्देश देने की बात कही, लेकिन सरकार के आश्वासन पर अगली सुनवाई 13 नवंबर को तय की। यह फैसला पथ निर्माण विभाग में भर्ती प्रक्रिया को तेज करने की दिशा में बड़ा कदम है।
अदालत ने क्यों जताई नाराजगी?
सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार की ओर से विधि विभाग, महाधिवक्ता और वित्त विभाग से परामर्श के बहाने को खारिज कर दिया। जस्टिस प्रसाद ने कहा, परामर्श के बहाने का खेल कब तक चलता रहेगा? पथ निर्माण विभाग के विशेष सचिव अदालत में हाजिर हुए थे। जब नियमावली की स्थिति पूछी गई, तो अधिकारी संतोषजनक जवाब न दे सके। अदालत ने फटकार लगाते हुए कहा, अधिकारी का यह लेथार्जिक अप्रोच (सुस्तीपूर्ण रवैया) ठीक नहीं है। सरकार ने बताया कि ड्राफ्ट में त्रुटियां सुधारकर जेपीएससी को भेजा गया है, और मंतव्य मिलने पर लागू होगा। महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा, जेपीएससी से मंतव्य प्राप्त हो गया है, जल्द लागू करेंगे। अदालत ने आश्वासन रिकॉर्ड पर लिया।
मामला कैसे पहुंचा कोर्ट
यह मामला डिप्लोमा इंजीनियरिंग एसोसिएशन एवं अन्य की जनहित याचिका पर आधारित है। याचिकाकर्ताओं ने सहायक अभियंता भर्ती में अनियमितताओं का आरोप लगाया। 2023 में हाईकोर्ट ने जेपीएससी को प्रतिवादी बनाया। जेपीएससी ने कहा कि सरकार के ड्राफ्ट में त्रुटियां हैं, जिसके लिए स्पष्टीकरण मांगा गया। अदालत ने राज्यपाल की सिफारिश पर जांच का आदेश दिया था। सरकार ने दूसरा आयोग बनाकर टालमटोल किया। कोर्ट ने इसे गंभीर लापरवाही बताया।
सरकार का बचाव
महाधिवक्ता ने कहा, ड्राफ्ट की त्रुटियां चिह्नित कर सुधार दिया गया। जेपीएससी से मंतव्य मिला है, लागू करेंगे। लेकिन अदालत संतुष्ट नहीं हुई। कोर्ट ने कहा कि बार-बार विभागों से परामर्श का बहाना अब स्वीकार्य नहीं। मुख्य सचिव की उपस्थिति से छूट मांगी गई, जिसे मान लिया गया।
प्रभाव और आगे की सुनवाई
यह फैसला पथ निर्माण विभाग में भर्ती प्रक्रिया को तेज करेगा। डिप्लोमा इंजीनियरों को राहत मिलेगी। अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी। अगर नियमावली न बनी, तो अवहेलना का केस बनेगा। विशेषज्ञ कहते हैं, यह फैसला भ्रष्टाचार रोकने में मदद करेगा।