Jharkhand News: झारखंड पुलिस की बड़ी सफलता, दो नक्सली सरेंडर, हथियारों संग आत्मसमर्पण कर लिया शरण
रांची के जंगल में LWE कमांडर सुनील मुर्मू और रानी देवी ने किया सरेंडर, सरेंडर पॉलिसी के तहत ₹5 लाख और ट्रेनिंग मिलेगी।
Jharkhand News: झारखंड में नक्सलवाद के खिलाफ पुलिस की मुहिम को नई ताकत मिली है। रांची जिले के एक जंगल में गुरुवार को दो सक्रिय नक्सलियों ने हथियारों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। यह कार्रवाई झारखंड पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की संयुक्त टीम ने की। सरेंडर करने वाले नक्सली लंबे समय से वन क्षेत्रों में सक्रिय थे। पुलिस का कहना है कि यह आत्मसमर्पण नक्सल संगठन को कमजोर करने का बड़ा झटका है। झारखंड पुलिस की सफलता से राज्य में शांति की उम्मीद बढ़ गई है। सरेंडर के बाद दोनों नक्सलियों को सरेंडर पॉलिसी के तहत लाभ मिलेगा।
नक्सलियों का सरेंडर, हथियारों के साथ पुलिस के सामने हाजिर
रांची के बूंदू थाना क्षेत्र में छिपे हुए दो नक्सली गुरुवार सुबह पुलिस के सामने सरेंडर कर आए। इनमें एक पुरुष नक्सली सुनील मुर्मू और एक महिला नक्सली रानी देवी शामिल हैं। सुनील मुर्मू लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिस्ट (LWE) संगठन के एक दस्ते का प्रमुख था। उसके पास एक इंसास राइफल और 20 गोलियां बरामद हुईं। रानी देवी उसके साथ सक्रिय सदस्य थी। दोनों ने कई सालों से जंगल में छिपकर पुलिस पर हमले किए थे। सरेंडर के समय उन्होंने कहा कि संगठन में हिंसा से तंग आ चुके हैं। पुलिस को भटकाव और डराने की साजिशों से परेशान हो गए। झारखंड पुलिस के एसएसपी ने बताया कि इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर ऑपरेशन चलाया गया। टीम ने जंगल में घेराबंदी की, तो दोनों ने हथियार डाल दिए।
Jharkhand News: सरेंडर पॉलिसी का असर
झारखंड सरकार की सरेंडर पॉलिसी ने नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने का मौका दिया है। इस पॉलिसी के तहत सरेंडर करने वालों को आर्थिक मदद, नौकरी का प्रशिक्षण और सुरक्षा मिलती है। सुनील और रानी को 5 लाख रुपये की सहायता राशि मिलेगी। इसके अलावा उन्हें वोकेशनल ट्रेनिंग दी जाएगी। डीजीपी ने कहा, यह सफलता हमारी मेहनत का नतीजा है। नक्सलवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी जारी रहेगी। सरेंडर के बाद दोनों को काउंसलिंग दी गई। वे अब समाज में सामान्य जीवन जी सकेंगे। झारखंड में पिछले एक साल में 50 से ज्यादा नक्सली सरेंडर कर चुके हैं।
नक्सलवाद पर लगाम, राज्य में शांति की नई उम्मीद
झारखंड के जंगलों में नक्सलवाद लंबे समय से समस्या था। इससे विकास रुकता था और लोग डरते थे। लेकिन पुलिस की सख्त कार्रवाई से अब सुधार हो रहा है। सरेंडर से नक्सली संगठनों के भर्ती पर असर पड़ेगा। युवा अब हिंसा के बजाय पढ़ाई और नौकरी चुनेंगे। स्थानीय लोग कहते हैं कि सड़कें, स्कूल और अस्पताल अब सुरक्षित होंगे। केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त रणनीति काम कर रही है। ड्रोन और इंटेलिजेंस से ऑपरेशन तेज हो गए हैं। झारखंड पुलिस की यह जीत पूरे देश के लिए मिसाल बनेगी।



