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Jharkhand News: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार से केंद्रीय करों में झारखंड की हिस्सेदारी को मौजूदा 41% से बढ़ाकर 50% करने की मांग की है। रांची में सोलहवें वित्त आयोग की बैठक में उन्होंने यह मांग रखी। उनका कहना है कि इससे झारखंड के विकास को नई गति मिलेगी और गरीबों, किसानों और आदिवासियों के लिए बेहतर योजनाएं चलाई जा सकेंगी।
क्यों जरूरी है यह मांग?
हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड एक गरीब राज्य है, जहां प्रति व्यक्ति आय कम है। ज्यादा कर हिस्सेदारी मिलने से स्वास्थ्य, शिक्षा और खेती जैसे क्षेत्रों में सुधार हो सकता है। उन्होंने ‘GST डिसएडवांटेज इंडेक्स’ बनाने का भी सुझाव दिया, ताकि जीएसटी से होने वाले नुकसान की भरपाई हो सके। इससे झारखंड जैसे राज्यों को आर्थिक मदद मिलेगी।
विकास के लिए क्या हैं योजनाएं?
मुख्यमंत्री ने बताया कि झारखंड में खनन से पर्यावरण और सामाजिक समस्याएं बढ़ी हैं। इन समस्याओं को हल करने के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को झारखंड के स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखकर वित्तीय मदद देनी चाहिए। इससे गांवों और आदिवासी क्षेत्रों का विकास तेज होगा। सोरेन ने यह भी कहा कि केंद्र का ‘विकसित भारत’ का सपना तभी पूरा होगा, जब राज्यों और गांवों का विकास हो।
जनता को क्या फायदा?
अगर केंद्र सरकार झारखंड की मांग मान लेती है, तो राज्य में स्कूल, अस्पताल और सड़कों जैसी सुविधाएं बेहतर हो सकती हैं। इससे गरीब और आदिवासी परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा। खासकर, युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर बन सकते हैं। सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार झारखंड के हर व्यक्ति के लिए काम कर रही है, और केंद्र से सहयोग की उम्मीद है।
सरकार का आगे क्या कदम होगा?
वित्त आयोग की टीम रांची में चार दिन की यात्रा पर आई थी और अब दिल्ली लौट चुकी है। हेमंत सोरेन ने उम्मीद जताई कि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार होगा। उन्होंने केंद्र से अपील की कि वह झारखंड के विकास में भागीदार बने, न कि रुकावट। जनता से भी उन्होंने सहयोग मांगा और कहा कि अपनी समस्याएं स्थानीय प्रशासन तक पहुंचाएं।

Author: Sudhanshu Tiwari
Writer