दालों के आयात पर रोक - आत्मनिर्भर भारत की नई जीत -बढ़ सकती है किसानो की आमदानी|
आत्मनिर्भर भारत की नई जीत!
डेस्क: भारत सरकार ने दालों के आयात पर बड़ा फैसला लिया है। अब कुछ दालों पर 30% तक आयात शुल्क लगाया गया है। इसका मतलब यह है कि विदेश से आने वाली सस्ती दालें अब महंगी पड़ेंगी। इस कदम से देशी किसानों को अपनी फसल का सही दाम मिलने की उम्मीद है।
क्यों ज़रूरी था यह फैसला?
पिछले कुछ सालों से भारत में विदेशों से सस्ती दालें बड़ी मात्रा में आ रही थीं। इससे देशी किसानों की दालें सस्ते दाम पर बिकने लगीं। किसानों को मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा था। सरकार ने किसानों की आमदनी बचाने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए यह कड़ा कदम उठाया है।
किसानों को क्या फायदा होगा?
अब जब सस्ती दालें विदेश से नहीं आएँगी, तो भारतीय दालों की माँग बढ़ेगी। इससे किसानों को अपने उत्पाद के अच्छे दाम मिलेंगे।
चना, उड़द, मसूर और मूंग जैसी दालें उगाने वाले किसानों को सीधा लाभ होगा।
यह फैसला रबी सीजन की बोवाई को भी प्रोत्साहन देगा, क्योंकि अब किसान जानेंगे कि बाजार में उनके उत्पाद की कीमत स्थिर रहेगी।
अभी और क्या करना होगा?
यह कदम सही दिशा में है, लेकिन सिर्फ इतना काफी नहीं।
सरकार को खेती से जुड़ी अन्य जरूरतों पर भी ध्यान देना होगा —
बेहतर बीज और उर्वरक की उपलब्धता
सिंचाई और भंडारण की सुविधा
मंडी व्यवस्था में पारदर्शिता
फसल बीमा और तकनीकी सहायता
अगर इन मोर्चों पर भी सुधार हुआ, तो किसानों की आय स्थायी रूप से बढ़ सकती है।
किसानों के लिए छोटे सुझाव
एक ही फसल पर निर्भर न रहें — विविधता अपनाएँ।
मंडी के भाव और मौसम की जानकारी मोबाइल से लें।
मिट्टी की जांच कर फसल की योजना बनाएँ।
किसान समूह या सहकारी समितियों में जुड़ें ताकि बेहतर दाम मिल सके।
निष्कर्ष:
दालों के आयात पर यह रोक सिर्फ एक सरकारी फैसला नहीं, बल्कि किसानों की आर्थिक मजबूती की दिशा में बड़ा कदम है।
अगर सरकार नीतियों को जमीन पर सही तरीके से लागू करे और किसानों को आवश्यक सहूलियतें मिलें, तो आने वाले दिनों में खेती फिर से लाभ का सौदा बन सकती है।



