Sardar Patel पर मुस्लिम लीग ने 2 बार किया जानलेवा हमला', BJP का 86 साल पुराना दावा
बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी का आरोप- कांग्रेस ने 86 साल तक इस 'सच' को दबाए रखा।
Sardar Patel: देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती (31 अक्टूबर) से ठीक पहले, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इतिहास को लेकर एक बड़ा और सनसनीखेज दावा किया है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि मुस्लिम लीग (Muslim League) ने सरदार पटेल की हत्या के दो प्रयास किए थे, और कांग्रेस ने इस ‘सच’ को 86 वर्षों तक देश से “छिपाए” रखा।
क्या हैं बीजेपी के दावे?
बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह आरोप लगाते हुए कहा कि सरदार पटेल पर जानलेवा हमले की ये कोशिशें आजादी से पहले की गईं थीं।
- पहला हमला (86 साल पहले): त्रिवेदी ने दावा किया कि पटेल पर हत्या का पहला प्रयास 86 साल पहले, यानी 1939 में, अहमदाबाद में किया गया था।
- दूसरा हमला: उन्होंने कहा कि दूसरा हमला 1946 में “डायरेक्ट एक्शन डे” के दौरान किया गया। बीजेपी का मुख्य आरोप यह है कि मुस्लिम लीग ने ये दोनों हमले सुनियोजित तरीके से करवाए थे।
कांग्रेस पर ‘सच’ छिपाने का आरोप
सुधांशु त्रिवेदी ने इस मुद्दे पर सीधे तौर पर कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि पार्टी ने अपनी “छद्म-धर्मनिरपेक्षता” (pseudo-secularism) और “तुष्टीकरण” की राजनीति के कारण इस ऐतिहासिक तथ्य को 86 वर्षों तक दबाए रखा और देश की जनता के सामने नहीं आने दिया।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस का इतिहास मुस्लिम लीग के प्रति “नरम” रुख रखने का रहा है। उन्होंने कहा, “यह आश्चर्य की बात है कि जिस पार्टी (कांग्रेस) ने सरदार पटेल पर हुए इन हमलों को छिपाया, आज वही पार्टियां (कांग्रेस और उसके सहयोगी) मुस्लिम लीग की मानसिकता को बढ़ावा दे रही हैं।”
वर्तमान राजनीति से जोड़ा
बीजेपी प्रवक्ता ने इस ऐतिहासिक दावे को वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य से भी जोड़ा। उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाले ‘INDIA’ गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि आज भी कांग्रेस उन्हीं ताकतों के साथ खड़ी है, जो मुस्लिम लीग की विचारधारा को आगे बढ़ा रही हैं। उनका इशारा केरल में कांग्रेस की सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) की तरफ था।
बीजपी ने यह मुद्दा उठाकर कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा पर सवाल खड़ा किया है और खुद को सरदार पटेल की राष्ट्रवादी विरासत के असली वाहक के रूप में पेश करने की कोशिश की है।



