जमशेदपुर। समाजवादी चिंतक और अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने वन नेशन वन इलेक्शन को लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताते हुए कहा कि यह विचार क्षेत्रीय पार्टियों को कमजोर करेगा और लोकतांत्रिक मूल्यों पर प्रहार है। उन्होंने कहा कि देश को वन नेशन वन इलेक्शन से ज्यादा वन एजुकेशन की जरूरत है, ताकि शिक्षा का स्तर समान और सुलभ हो।
उन्होंने सवाल उठाया कि यदि किसी राज्य सरकार का कार्यकाल पूरा नहीं होता और उसे भंग कर दिया जाता है, तो वन नेशन वन इलेक्शन कैसे लागू होगा? यह सवाल मोदी सरकार के पास कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। उन्होंने इस पहल को भारतीय जनता पार्टी के गिरते जनाधार और पतन को छुपाने का प्रयास करार दिया।
सुधीर पप्पू ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार ने जो भी वादे किए, उन्हें पूरा करने में असफल रही। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनी हुई राज्य सरकारों को अस्थिर करना, विपक्षी नेताओं को सीबीआई और ईडी के दबाव में लाना, और भ्रष्ट नेताओं को भाजपा में शामिल कराना, भाजपा की कार्यशैली का हिस्सा बन गया है। उन्होंने भाजपा को भ्रष्टाचारियों का संगठन बताते हुए कहा कि महंगाई, बेरोजगारी, और भ्रष्टाचार चरम पर हैं, लेकिन सरकार जनता की समस्याओं से बेखबर है।
झारखंड में हेमंत सोरेन की जीत और भाजपा की हार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा गरीबों और लोकहित में शुरू की गई योजनाओं का विरोध कर रही है। भाजपा की हार को लेकर पार्टी नेताओं में हताशा और बढ़बोलापन नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में मोदी और शाह की रणनीति हेमंत सोरेन के सामने टिक नहीं पाई, जिससे भाजपा की सीटें घट गईं।
सुधीर पप्पू ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन का विचार केवल एक जुमला है, जिसका उद्देश्य लोकतंत्र को कमजोर करना है। देश में शिक्षा और रोजगार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, न कि इस तरह के राजनीतिक एजेंडों पर।