धार्मिक

देवघर में मकर संक्रांति पर बाबा बैद्यनाथ की हुई विशेष पूजा, सुबह में तिल और दोपहर को खिचड़ी का लगा भोग

देवघर-देवघर की प्रसिद्धि देवों के निवास स्थान और देवों के देव यानी बाबा भोलेनाथ की नगरी के रूप में है. यहां हर पर्व-त्योहार बाबा मंदिर से मनाने की परंपरा चली आ रही है. लोग बाबा मंदिर से ही किसी पर्व-त्योहार की शुरुआत करने की परंपरा का निर्वहन करते हैं. माघ शीर्ष मकर संक्रांति तिथि पर भी लोगों ने बाबा पर तिल अर्पित करने के साथ दिन की शुरुआत की. परंपरा के अनुसार सुबह सरदारी पूजा के दौरान बाबा को तिल अर्पित किया गया, वहीं दोपहर में बाबा सहित सभी देवी देवताओं को खिचड़ी व दही का भोग अर्पित किया गया.

अहले सुबह बाबा मंदिर का पट खुलने के बाद कांचा जल पूजा के बाद बाबा की सरदारी पूजा प्रारंभ की गयी. इस पूजा में बाबा को षोडशोपचार विधि से पूजा के दौरान पूजा सामग्री में तिल व तिल-गुड़ से बने लड्डू को पुजारी सुमन झा ने बाबा के ऊपर अर्पित कर मकर संक्रांति पर्व की शुरूआत की. वहीं इस दिन स्थानीय लोगों ने भी बाबा को पूजा के दौरान तिल का लड्डू चढ़ाया. वहीं दोपहर में खिचड़ी व दही का भोग लगाया गया.

परंपरा के अनुसार माघ माह के संक्रांति तिथि पर बाबा सहित अन्य देवताओं को खिचड़ी व दही का भोग लगाने की परंपरा को प्रारंभ किया गया. पहले दिन श्रृंगारी परिवार के पुजारी महेश श्रृंगारी ने पवित्रता के साथ भीतरखंड के दुर्गा मंडप में खिचड़ी बनायी. यह खिचड़ी पितल के बर्तन में गंगाजल सहित अन्य सामग्रियों के साथ बनाया गया. वहीं खिचड़ी का भोग श्रीयंत्र मंदिर में लगाया गया. भोग के बाद मौके पर मौजूद लोगों के बीच खिचड़ी व दही को प्रसाद के तौर पर वितरीत किया गया. पूरे एक महीने तक बाबा को तिल व खिचड़ी का भोग अर्पित किया जायेगा.

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