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This act of the Maoists reflects their frustration: जंगलों में माओवादी हमला-जवान शहीद

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  • सारंडा के घने जंगलों में माओवादी हमला, आईईडी विस्फोट में एक जवान शहीद, दूसरा गंभीर
चाईबासा। पश्चिमी सिंहभूम जिले के घने सारंडा जंगलों में शनिवार को माओवादियों द्वारा बिछाए गए आईईडी विस्फोट में दो सुरक्षा जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना छोटानागरा और जराईकेला थाना क्षेत्र की सीमा से सटे इलाके में हुई, जहां कोबरा 203 बटालियन और झारखंड जगुआर की संयुक्त टीम नक्सल विरोधी अभियान पर निकली थी।
सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हुए किए गए इस हमले में कोबरा 203 बटालियन के हेड कांस्टेबल विष्णु सैनी और झारखंड जगुआर के कांस्टेबल सुनील धान घायल हो गए। दोनों को प्राथमिक इलाज के बाद हेलीकॉप्टर से रांची स्थित अस्पताल में रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान कांस्टेबल सुनील धान ने दम तोड़ दिया। हेड कांस्टेबल विष्णु सैनी की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है।
सूत्रों के अनुसार यह हमला भाकपा (माओवादी) के वांछित नेता मिशिर बेसरा और उसके दस्ते द्वारा किया गया है, जो इन दिनों सारंडा और कोल्हान क्षेत्र में सक्रिय हैं। बताया जा रहा है कि लगभग 30-35 माओवादी इस इलाके में छिपे हुए हैं, जिनकी तलाश में सुरक्षा बल विशेष अभियान चला रहे हैं।
हमले के बाद इलाके में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। ड्रोन कैमरों और अन्य अत्याधुनिक तकनीकों के जरिए जंगलों की निगरानी की जा रही है। पुलिस और सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी हालात पर नजर बनाए हुए हैं।
पुलिस का मानना है कि माओवादियों का यह कृत्य उनकी बौखलाहट को दर्शाता है। पिछले कुछ महीनों में सुरक्षाबलों की लगातार कार्रवाई से माओवादियों का नेटवर्क कमजोर हुआ है, जिससे वे अब सुरक्षाबलों को निशाना बनाकर भय फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
गौरतलब है कि सारंडा का इलाका अपनी भौगोलिक बनावट और खनिज संपदा के कारण माओवादियों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है। सीमावर्ती राज्यों से जुड़ा यह क्षेत्र लंबे समय से माओवादियों का गढ़ बना हुआ है।
हालांकि, राज्य सरकार और केंद्रीय बलों की सघन कार्रवाई से नक्सली गतिविधियों में काफी कमी आई है, लेकिन मिशिर बेसरा जैसे शीर्ष माओवादी नेताओं की सक्रियता अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

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