Premanand Maharaj Pravachan: भगवान मांगी हुई चीज क्यों नहीं देते हैं? प्रेमानंद महाराज ने बताया सच्चाई
प्रेमानंद महाराज: भगवान मांगी हुई चीजें क्यों नहीं देते? जानें 3 कारण और सच्ची भक्ति का राज
Premanand Maharaj Pravachan: वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने अपने हालिया प्रवचन में एक सवाल का ऐसा जवाब दिया, जो हर भक्त के मन को छू गया। एक महिला श्रद्धालु ने पूछा कि भगवान हमेशा मांगी हुई चीजें क्यों नहीं देते? प्रेमानंद महाराज ने सरल शब्दों में समझाया कि सच्ची भक्ति और प्रेम के बिना कामनाएं पूरी नहीं होतीं। उन्होंने कहा कि भगवान सबको दे रहे हैं, लेकिन हमारा मांगने का तरीका ही गलत है। यह प्रवचन लाखों भक्तों के लिए मार्गदर्शन साबित हो रहा है। आइए जानते हैं प्रेमानंद महाराज के इस प्रवचन की मुख्य बातें।
प्रेमानंद महाराज का प्रवचन: मांगने का सही तरीका क्या है?

प्रेमानंद महाराज ने कहा, “लोग भगवान के पास जाते हैं और कहते हैं कि मैं भोग लगाऊंगा। लेकिन मांगना भी तो नहीं आता। ठाकुर जी को ठाकुर मानो, प्रभु को प्रभु मानो, अपना स्वामी मानो, अपना प्रितम मानो, अपना यार मानो। तभी काम बनने लगेगा।” उन्होंने जोर देकर कहा कि भगवान को लड्डू-पेड़ा नहीं चाहिए। वे ब्रह्मांड के स्वामी हैं, उन्हें बस हमारा भाव चाहिए। भाव, प्रेम और तपस्या के बिना कोई कामना पूरी नहीं होती। महाराज ने उदाहरण दिया कि संपूर्ण सृष्टि भगवान का बच्चा है और वे सभी को आवश्यक सामग्री दे रहे हैं। लेकिन हमारा मन इतना अशुद्ध होता है कि हम उनकी कृपा को समझ ही नहीं पाते।
भक्ति का महत्व: तपस्या रूपी धन ही कामना पूरी करेगा
प्रवचन में महाराज ने स्पष्ट किया कि कामनाओं की पूर्ति के लिए तप करना पड़ता है। भजन करना पड़ता है। भगवान से प्यार करना पड़ता है। उन्होंने एक दुकान का उदाहरण दिया: भगवान की दुकान में सबका जीवन खाता है। दुकान से वस्तु लेने के दो अधिकार होते हैं। पहला, आपके पास रूपया होना चाहिए। दूसरा, अगर आप घरवाले हैं तो बिना तौल के सामान मिल जाता। तो आप कौन हैं? ना तो आपके पास तपस्या रूपी धन है, ना आप हरि के घरवाले बने। फिर कामना कैसे पूरी हो?” महाराज ने चेतावनी दी कि ऐसे में भगवान को कोसना बंद करें। सच्ची भक्ति से ही वे प्रसन्न होते हैं।
प्रेमानंद महाराज की सलाह: भक्ति का सही मार्ग अपनाएं
प्रेमानंद महाराज ने भक्तों को सलाह दी कि रोजाना भजन करें, तपस्या करें और भगवान को अपना यार मानें। उन्होंने कहा, “भगवान सुनते हैं, लेकिन हमारा भाव साफ होना चाहिए। प्रेम से मांगें, तो मिलेगा।” प्रवचन में कोई विशेष कथा नहीं सुनाई गई, लेकिन महाराज की बातें सरल और गहरी हैं। वे कहते हैं कि सच्चे मन से की गई भक्ति पर भगवान अवश्य आते हैं। यह प्रवचन वृंदावन के एक सत्संग में हुआ, जहां सैकड़ों भक्त जुटे थे।



