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“श्री श्री रविशंकर को ‘वर्ल्ड लीडर फॉर पीस एंड सिक्योरिटी अवार्ड-2025’”

बोस्टन ग्लोबल फोरम और AI वर्ल्ड सोसाइटी ने श्री श्री रविशंकर को उनके वैश्विक शांति और मानवीय नेतृत्व के लिए सम्मानित किया।

वाराणसी: आजयह एक ऐसा क्षण है, जब हमें गर्व से कहना चाहिए — एक ऐसे भारतीय ने, जिसने न केवल अपने देश की आंतरिक आध्यात्मिक यात्रा को आगे बढ़ाया, बल्कि विश्व के पटल पर शांति, करुणा व मानव-कल्याण का संदेश फैलाया है। आज हम बात कर रहे हैं श्री श्री रविशंकर की, जिन्हें हाल ही में Boston Global Forum एवं AI World Society द्वारा «वर्ल्ड लीडर फॉर पीस एंड सिक्योरिटी अवार्ड-2025» से सम्मानित किया गया है।

विश्व मंच पर भारत का नाम ऊँचा

यह सम्मान सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह देश-विरोधी नहीं, बल्कि देश-प्रेमी संदेश है – कि भारत की आध्यात्मिक और मानवीय नेतृत्व की शक्ति विश्व में भी अनुकरणीय है। इस अवार्ड के पूर्व विजेताओं में ऐसे नाम हैं जिनका विश्व राजनीति, सुरक्षा व शांति में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 
इस प्रकार, श्री श्री रविशंकर का यह सम्मान न सिर्फ उनकी सेवा-दृष्टि की मान्यता है, बल्कि भारत को “विश्व गुरु” के रूप में प्रतिष्ठित करने का नया आयाम खोलता है।

आध्यात्मिक गुरु से ग्लोबल पाइलट तक

श्री श्री रविशंकर ने अपनी संस्था The Art of Living Foundation के माध्यम से 180 से अधिक देशों में पहुंच बनाई है। 
उनकी यह यात्रा सिर्फ ध्यान-प्रशिक्षण या धर्म-उपदेश तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने उन क्षेत्रों में भी मध्यस्थता की है जहाँ लंबे समय से हिंसा, संघर्ष एवं विभाजन रहे हैं — जैसे कि कोलम्बिया (जहाँ उन्होंने एफएआरसी और सरकार के बीच 52 वर्षीय संघर्ष को समाप्त की ओर ले जाने में योगदान दिया) तक। 
यह कहना अतिश्योक्ति नहीं कि उन्होंने शांति को एक अमूर्त सिद्धांत नहीं बनाया, बल्कि इसे “जीवित अनुभव” में बदलने की दिशा में काम किया।

शांति-निर्माण: विचार से क्रिया तक

श्री श्री रविशंकर का मानना है कि शांति सिर्फ शब्द नहीं बल्कि क्रिया होनी चाहिए:

“शांति सिर्फ़ बातों से नहीं आ सकती, इसे एक्शन में बदलना होगा। हम अक्सर एक ही सांस में ‘शांति और सुरक्षा’ कहते हैं। सुरक्षा के लिए बहुत कुछ किया जाता है लेकिन शांति पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है।” 
वे कहते हैं कि आज हमारे समाज में अविश्वास और तनाव का माहौल है — ऐसे में एक नैतिक-आध्यात्मिक शक्ति की आवश्यकता है।
उनकी इस सोच ने उन्हें शांति की तकनीक-आधारित पहलें लाने पर प्रेरित किया — जैसे उनकी संस्था द्वारा संचालित ‘सुदर्शन क्रिया’ (SKY) ब्रीदिंग मेडिटेशन, जो तनाव कम करने, भावनात्मक लचीलापन बढ़ाने और आघात के बाद स्वस्थ जीवन लौटाने में सहायक मानी गई है। 

वैश्विक मानव-सेवा का प्रभव

श्री श्री रविशंकर की संस्था ने शिक्षा, पर्यावरण, सामाजिक सहारा और पुनर्वास जैसे क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है। उदाहरण के लिए:

  • संघर्ष-क्षेत्रों में मध्यस्थता और शांति प्रक्रिया में भागीदारी।

  • जेलों में ध्यान-प्रशिक्षण कार्यक्रमों द्वारा कैदियों का पुनर्वास।

  • जल-नदियों, जल-संरचनाओं का पुनर्जीवन और समाज-सेवा-स्कूलों के माध्यम से वंचित बच्चों को शिक्षा तथा पोषण देना।

इसी वजह से, इस सम्मान-सम्मेलन में उन्हें “मित्र-निर्माता”, “बंधु-निर्माता”, “स्वार्थ-रहित शांति-सेतु” वाला नेता बताया गया है।

आज की चुनौतियों और उनके दृष्टिकोण

21वीं सदी की चुनौतियाँ — जैसे तकनीकी तीव्र विकास (विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), बढ़ती वैश्विक अस्थिरता, सामाजिक विभाजन — इनसे निपटने के लिए सिर्फ नीति-निर्माण पर्याप्त नहीं। श्री श्री रविशंकर का मानना है कि मन-शांति, भीतर से मानव-मूल्य और संवाद-संस्कृति का होना बहुत जरूरी है।
वे कहते हैं कि जब तक हम भीतर शांति नहीं लाते — व्यक्तिगत, मानसिक और भावनात्मक स्तर पर — तब तक बाहरी शांति संतुलित नहीं बनेगी। यही कारण है कि उन्होंने ध्यान-प्रशिक्षण, मीडिया संवाद, शिक्षा-कार्यशालाओं और अंतर–धार्मिक पहलों पर ध्यान दिया है।

भारत के लिए नया गौरव

यह पुरस्कार सिर्फ उनके व्यक्तित्व का नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक-आध्यात्मिक विरासत का सम्मान है। यह संकेत देता है कि जब हमारा देश बाहरी शक्‌ति और तकनीक-क्षमता के साथ अंदरूनी शक्ति, करुणा व संवाद-क्षम बनने की दिशा लेता है, तब वह विश्व-गुरु के रूप में उभर सकता है।
और यह संदेश है – कि प्राचीन ज्ञान आधुनिक शासन, नैतिकता और वैश्विक संबद्धता के साथ जुड़ सकता है।

निष्कर्ष :

श्री श्री रविशंकर की यह उपलब्धि हमें याद दिलाती है: शांति-निर्माण केवल युद्धविराम नहीं, बल्कि समझ, सहिष्णुता, आत्म-विकास और मानवीय सेवा का संयोजन है। उन्होंने यह दिखाया है कि व्यक्तिगत आध्यात्मिक विकास और समष्टिगत मानव-कल्याण दोनों एक-साँथ चल सकते हैं।
इस पुरस्कार से हमें प्रेरणा मिलती है कि हम, अपने-अपने क्षेत्र में, चाहे छोटा हो या बड़ा, “शांति निर्माता” बन सकते हैं — हर दिन, हर साँस, हर क्रिया से। और साथ-ही-साथ, भारत की वैश्विक भूमिका को गौरवपूर्वक देखने का अवसर मिलता है।

हमें विश्वास है कि इस सम्मान से श्री श्री रविशंकर का प्रकाश और भी दूर तक फैलेगा — और साथ में, उन अनगिनत लोगों का जीवन बेहतर होगा जिनसे उनकी यात्रा जुड़ी है।

PRAGATI DIXIT
Author: PRAGATI DIXIT

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