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जमशेदपुर। रामनवमी के पावन अवसर पर सोमवार को जमशेदपुर में भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी, जिसमें भक्तों का अपार उत्साह देखने को मिलेगा। अखाड़ों से जुड़े लोग गाजे-बाजे के साथ, अस्त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन करते हुए शोभायात्रा में शामिल होंगे। इस वर्ष शोभायात्रा की खास बात मणिपुर की पारंपरिक मार्शल आर्ट ‘थांग-ता’ का प्रदर्शन होगा, जिसे देखने के लिए लोगों में खासा उत्साह है।
मणिपुरी कलाकारों की खास प्रस्तुति
सोनारी के ललन अखाड़े के विशेष आमंत्रण पर मणिपुर से छह सदस्यों की टीम जमशेदपुर पहुंची है। एसोसिएशन फॉर पाओना मेमोरियल आर्ट्स एंड रूरल डेवलपमेंट सर्विस, मणिपुर के इन कलाकारों को हिंसा प्रभावित अपने राज्य से हवाई मार्ग द्वारा कोलकाता और फिर ट्रेन द्वारा जमशेदपुर लाया गया। ये कलाकार अपने अनोखे प्रदर्शन के लिए जाने जाते हैं और रामनवमी के अवसर पर वे ‘थांग लैंटेंग हैबा’ (हथियारों के साथ नृत्य) और ‘थांग याहुम यानाया’ (एक योद्धा का दो से युद्ध) जैसी विधाओं का प्रदर्शन करेंगे।
क्या है मणिपुरी मार्शल आर्ट ‘थांग-ता’?
मणिपुर का पारंपरिक मार्शल आर्ट ‘थांग-ता’ तलवार और भाले से युद्ध करने की कला है। इसे ‘हुयेन लालॉन्ग’ यानी सुरक्षित रक्षा प्रणाली के रूप में भी जाना जाता है। प्राचीन काल में इस कला का प्रयोग कबीलों, जनजातियों और राज्यों की रक्षा के लिए किया जाता था। इसे देखने से ऐसा प्रतीत होता है जैसे योद्धा तलवार और भालों के साथ नृत्य कर रहे हों। इस शैली में शरीर को स्प्रिंग एक्शन से संचालित किया जाता है, जिससे योद्धा अचानक हवा में उछलकर आक्रमण कर सकता है।
ब्रिटिश शासनकाल में इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन मणिपुरी योद्धाओं ने इसे पीढ़ी दर पीढ़ी जीवित रखा। इस कला में ध्यान, श्वास नियंत्रण और अनुष्ठानों का भी समावेश होता है, जिससे यह केवल लड़ाई तक सीमित न रहकर एक संपूर्ण शारीरिक और मानसिक साधना बन जाती है।
ललन अखाड़े के बुलावे पर हर साल आते हैं कलाकार
मणिपुर के ये कलाकार हर वर्ष रामनवमी के अवसर पर ललन अखाड़े के बुलावे पर जमशेदपुर आते हैं। तलवार और डंडे के कौशल का प्रदर्शन करते हुए जब ये कलाकार अपने युद्ध-कौशल का प्रदर्शन करते हैं, तो दर्शक तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत करते हैं। खासकर मणिपुरी युवतियों की प्रस्तुति लोगों को रोमांचित कर देती है।
ललन अखाड़े के इस आयोजन से न केवल रामनवमी का उत्सव और भव्य बनता है, बल्कि पारंपरिक भारतीय मार्शल आर्ट को भी बढ़ावा मिलता है। इस वर्ष भी यह आयोजन श्रद्धालुओं और कला प्रेमियों के लिए एक अनूठा अनुभव साबित होगा।
