वाराणसी: भारत आज उस दौर में है जहाँ उद्यमिता केवल एक करियर विकल्प नहीं, बल्कि एक लोकप्रिय आंदोलन बन चुकी है। नए विचारों वाले युवा अपने करियर को नौकरी की सीमा से निकालकर व्यवसाय निर्माण की दिशा में ले जा रहे हैं। 2023 के GUESSS सर्वे के अनुसार भारत के 32% कॉलेज विद्यार्थी अपना स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं, जबकि दुनिया के बाकी हिस्सों में यह संख्या केवल 25% है। इसका अर्थ है कि भारत में उद्यमिता एक नए युग का आरंभ कर चुकी है।

इसी बदलते परिदृश्य में दुनिया की अग्रणी बिज़नेस स्कूलों में से एक स्टैनफोर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिज़नेस (GSB) का विशेष प्रोग्राम स्टैनफोर्ड सीड भारतीय उद्यमियों के लिए एक परिवर्तनकारी अवसर बनकर उभरा है। दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय निदेशक हरीश अर्नेज़ाथ बताते हैं कि भारत आज स्टार्टअप ऊर्जा से भरपूर है और सीड प्रोग्राम इसी ऊर्जा को सही दिशा देता है।
भारत में बढ़ती उद्यमिता: क्यों बढ़ रही है मांग?
उद्यमिता के प्रति भारतीय युवाओं का झुकाव कई कारणों से बढ़ रहा है:–नई तकनीकों तक तेज़ पहुँच , डिजिटल पेमेंट व ई-कॉमर्स का विस्तार , सरकार की Startup India जैसी नीतियाँ , रोजगार से अधिक रोजगार देने की मानसिकता
Startup India के आँकड़ों के अनुसार 2016 से अब तक 1.57 लाख से अधिक स्टार्टअप रजिस्टर्ड हो चुके हैं, जिन्होंने 15 लाख से अधिक नौकरियाँ बनाई हैं। यह दिखाता है कि भारत न केवल उद्यमी पैदा कर रहा है, बल्कि उन्हें प्रोत्साहित करने का वातावरण भी दे रहा है।
उद्यमी बनने की इच्छा रखने वाले छात्रों के लिए सर्वोत्तम मार्ग: हरीश अर्नेज़ाथ का मानना है कि उद्यमी बनने का कोई तय पाठ्यक्रम नहीं होता, परंतु कुछ शैक्षणिक रास्ते व्यक्ति को मजबूत नींव देते हैं:
इंजीनियरिंग, विज्ञान, तकनीक और लिबरल आर्ट्स:- ये विषय रचनात्मक सोच, समस्या समाधान और विश्लेषण क्षमता विकसित करते हैं—एक सफल उद्यमी की मूलभूत आवश्यकताएँ।
MBA और प्रबंधन कार्यक्रम:- ये कार्यक्रम केस स्टडी, फाइनेंस, वेंचर मॉडल, मार्केटिंग और नेतृत्व के माध्यम से व्यावसायिक दृष्टि को धार देते हैं।
6–12 महीने के उद्यमिता/एक्जिक्यूटिव प्रोग्राम:- ये उन युवाओं के लिए आदर्श हैं जो किसी बिज़नेस आइडिया पर काम कर रहे हैं और जिन्हें नेटवर्क, मेंटरशिप और मार्केट समझ की जरूरत है।
स्टैनफोर्ड GSB के प्रमुख उद्यमिता कार्यक्रम: स्टैनफोर्ड GSB ने उभरते देशों के लिए दो विशेष प्रोग्राम तैयार किए हैं जो पारंपरिक MBA से अलग, अधिक व्यावहारिक और बिज़नेस-केंद्रित हैं।
Seed Transformation Program (STP): 10 महीने का हाइब्रिड प्रोग्राम,छोटे और मध्यम आकार के लाभकारी व्यवसायों के संस्थापक/CEO के लिए,विषय: नेतृत्व, रणनीति, मूल्य श्रृंखला, वित्त, मार्केटिंग,मेंटरशिप, फैकल्टी इनसाइट्स, बिज़नेस टूल्स, और नेटवर्किंग,कार्यक्रम के अंत में कंपनी का Transformation Plan तैयार—STP की खास बात यह है कि यह केवल किताबों का ज्ञान नहीं, बल्कि जमीन से जुड़ा वास्तविक समाधान देता है।
Spark Program: 4 महीने का ऑनलाइन कार्यक्रम,शुरुआती चरण के स्टार्टअप्स के लिए,लाइव सत्र, टूलकिट, मेंटरशिप और सहकर्मी सीख—Spark उन स्टार्टअप्स के लिए आदर्श है जो आइडिया या ट्रैक्शन स्टेज में होते हैं और उन्हें दिशा तथा विशेषज्ञ मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।
स्टैनफोर्ड सीड का शिक्षण मॉडल: कक्षाओं से आगे की शिक्षा:
2013 से स्टैनफोर्ड सीड ने हजारों SMEs के साथ काम करते हुए एक SME-केंद्रित फ्रेमवर्क बनाया है जो नेतृत्व, रणनीति, वित्त, मार्केटिंग और मानव संसाधन के व्यवहारिक उपयोग पर केंद्रित है। स्टैनफोर्ड इन सिद्धांतों को भारत और दक्षिण एशिया के बिज़नेस वातावरण के अनुसार लागू करता है। शिक्षण में स्थानीय केस स्टडी, विशेषज्ञ सलाहकार, और सहकर्मी नेटवर्क महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसका परिणाम यह है कि प्रत्येक उद्यमी एक रणनीतिक सोच, व्यावहारिक योजनाओं और टीम-केंद्रित नेतृत्व में दक्ष बनकर निकलता है।
भारतीय उद्यमियों के लिए वैश्विक एक्जिक्यूटिव शिक्षा का महत्व:
भारत में एक्जिक्यूटिव शिक्षा की मांग तेजी से बढ़ रही है और बाज़ार 2029 तक ₹2,090 करोड़ तक पहुँचने का अनुमान है।आज के उद्यमी सिर्फ बढ़ना नहीं चाहते, बल्कि वैश्विक स्तर पर टिकाऊ और मजबूत व्यवसाय बनाना चाहते हैं। (परिवार व्यवसाय शासन,डिजिटल कौशल,नेतृत्व,वित्तीय निर्णय,ESG और स्थिरता ) जैसे विषयों में अल्पकालिक वैश्विक कार्यक्रम अत्यंत लाभकारी साबित हो रहे हैं।
दक्षिण एशिया में स्टैनफोर्ड सीड की भूमिका:-
स्टैनफोर्ड सीड इस क्षेत्र में सिर्फ एक शैक्षणिक पहल नहीं है, बल्कि एक पुल है जो उद्यमशील आकांक्षाओं को वास्तविकता से जोड़ता है। सीड की 5 प्रमुख विशेषताएँ: वास्तविक बिज़नेस चुनौतियों पर आधारित शिक्षण , पूरे नेतृत्व दल को साथ लेकर चलना , मज़बूत सहकर्मी एवं सलाहकार नेटवर्क , व्यवस्थित व्यवसाय प्रबंधन और स्पष्ट मेट्रिक्स , सामुदायिक प्रभाव पर ध्यान—सिर्फ लाभ नहीं —दक्षिण एशिया के जटिल व्यापारिक माहौल में यह मार्गदर्शन उद्यमियों को दीर्घकालिक और टिकाऊ विकास की ओर ले जाता है।
निष्कर्ष-
भारत उद्यमिता के स्वर्णिम युग में प्रवेश कर चुका है। लाखों युवा सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि बिज़नेस खड़ा करने की सोच रखते हैं। ऐसे समय में स्टैनफोर्ड सीड जैसी वैश्विक पहल भारतीय उद्यमियों को वह दिशा, ज्ञान, नेटवर्क और आत्मविश्वास देती है, जिसकी उन्हें तेजी से विकसित हो रहे बाजार में आवश्यकता है। चाहे आप एक छात्र हों, एक उभरते उद्यमी हों या एक स्थापित व्यवसाय चलाते हों—स्टैनफोर्ड सीड का मॉडल दिखाता है कि सही शिक्षा, सही मेंटरशिप और सही नेटवर्क किसी भी उद्यम को अगले स्तर तक ले जा सकता है।



