ट्रंप का बड़ा फैसला: फार्मा आयात पर 100% टैरिफ, भारतीय कंपनियों को झटका

डेस्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक बड़ा आर्थिक कदम उठाते हुए घोषणा की कि 1 अक्टूबर 2025 से पेटेंटेड और ब्रांडेड फार्मास्युटिकल उत्पादों पर 100% आयात शुल्क (टैरिफ) लगाया जाएगा। इस फैसले से भारतीय दवा कंपनियों पर असर पड़ सकता है, क्योंकि अमेरिका भारत के लिए सबसे बड़ा दवा निर्यात बाजार है।
भारतीय फार्मा सेक्टर पर असर?
एसोचैम (ASSOCHAM) के सेक्रेटरी जनरल मनीष सिंघल ने कहा कि यह कदम भारतीय दवा उद्योग के लिए चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन इसका असर सीमित रहेगा। उन्होंने बताया कि अमेरिका में भेजी जाने वाली लगभग 50% जेनेरिक दवाओं पर यह टैरिफ लागू नहीं होगा। सिंघल के अनुसार, “भारत की कई कंपनियों के लिए शुरुआती झटका जरूर होगा, लेकिन लंबे समय में इसका प्रभाव कम होगा, क्योंकि भारत ने कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTAs) किए हुए हैं।”
“दुनिया की फार्मेसी” भारत
भारत को लंबे समय से “वर्ल्ड्स फार्मेसी” कहा जाता है। अमेरिका को भारत बड़ी मात्रा में सस्ती जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराता है। इन दवाओं की वजह से ही अमेरिकी स्वास्थ्य प्रणाली को बीते वर्षों में भारी बचत हुई है।
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2022 में अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली हर 10 में से 4 दवाएं भारतीय कंपनियों से आईं।
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इनसे अमेरिकी हेल्थ सिस्टम को 2022 में ही 219 अरब डॉलर की बचत हुई।
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2013 से 2022 के बीच कुल 1.3 ट्रिलियन डॉलर की बचत दर्ज की गई।
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अनुमान है कि अगले पांच सालों में भारतीय जेनेरिक दवाएं अमेरिका को अतिरिक्त 1.3 ट्रिलियन डॉलर बचाने में मदद करेंगी।
ट्रंप प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन कंपनियों ने अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट खोली है, उन पर यह टैरिफ लागू नहीं होगा। ट्रंप का कहना है कि इस कदम से घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और अमेरिकी कंपनियां विदेशी उत्पादकों पर निर्भर नहीं रहेंगी।
भारतीय कंपनियों के लिए आगे की राह
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारतीय दवा कंपनियों को अब दोहरी रणनीति अपनानी होगी –
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अमेरिका में निवेश कर मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाना।
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यूरोप, एशिया और अफ्रीका जैसे नए बाजारों पर ध्यान केंद्रित करना।
अगर भारतीय कंपनियां सही रणनीति बनाती हैं, तो यह फैसला उनकी वैश्विक मौजूदगी को और भी मजबूत बना सकता है।