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सरकार का सख्त फरमान – हादसे अब ठेकेदार की जेब काटेंगे!
देशभर में बढ़ते सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने अब बड़ा और सख्त कदम उठाया है। अगर किसी हाईवे के एक ही हिस्से पर बार-बार एक्सीडेंट होते हैं, तो अब ठेकेदार को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि अगर किसी नेशनल हाईवे के एक ही 500 मीटर हिस्से में एक साल में दो या उससे ज्यादा हादसे होते हैं, तो ठेकेदार पर 25 लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा। यही नहीं, अगर अगले साल भी उस जगह हादसा होता है, तो जुर्माने की रकम 50 लाख रुपये तक बढ़ा दी जाएगी।
वाराणसी: सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव वी. उमाशंकर ने बताया कि मंत्रालय ने बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (BOT) मॉडल से बनने वाले हाईवे प्रोजेक्ट्स के दस्तावेजों में संशोधन किया है। अब ठेकेदारों को न सिर्फ सड़क निर्माण बल्कि उसकी सेफ्टी, मेंटेनेंस और क्रैश मैनेजमेंट की जिम्मेदारी भी लेनी होगी। यदि किसी हिस्से में हादसा बार-बार होता है, तो ठेकेदार को कारण की पहचान कर सुधारात्मक कदम उठाने होंगे।
“500 मीटर में 2 हादसे? ठेकेदार चुकाएगा 25 लाख – सरकार ने ठीक करने का समय खत्म!”
ब्रेकिंग: NHAI का नया नियम – ठेकेदारों पर तलवार
- क्या हुआ? MoRTH ने BOT मॉडल के लिए MCA (Model Concession Agreement) में संशोधन – ठेकेदार अब सेफ्टी + मेंटेनेंस के लिए जिम्मेदार!
- जुर्माना: 500 मीटर स्ट्रेच में 1 साल में 2+ हादसे → ₹25 लाख पहली बार।
- दूसरी बार: अगले साल फिर → ₹50 लाख तक।
- क्यों? 2025 में NH पर 1.5 लाख+ हादसे – 70,000 मौतें!
फैक्ट: 3,500 ब्लैक स्पॉट्स पहचाने – ठेकेदार को क्रैश मैनेजमेंट + सुधारात्मक कदम अनिवार्य।
BOT vs HAM/EPC – कौन सा मॉडल प्रभावित?
| मॉडल | कंसैशन पीरियड | नया नियम | जुर्माना |
|---|---|---|---|
| BOT (Toll) | 15-20 साल | क्रैश मैनेजमेंट अनिवार्य | ₹25L → ₹50L |
| HAM (Hybrid Annuity) | 15-20 साल | सेफ्टी स्टैंडर्ड सख्त | रेटिंग सिस्टम + पेनल्टी |
| EPC (Construction) | प्रोजेक्ट बेस्ड | परफॉर्मेंस क्राइटेरिया | ₹10Cr तक (मेजर लैप्स) |
सचिव वी. उमाशंकर: “ठेकेदार सड़क बनाएगा, तो सेफ्टी भी सुनिश्चित करेगा!”
जुर्माने का ब्रेकडाउन – कितना चलेगा ठेकेदार का खर्च?
| हादसे की संख्या | स्ट्रेच (500m) | पेनल्टी | अतिरिक्त |
|---|---|---|---|
| 1 साल में 2+ | पहली बार | ₹25 लाख | सुधार + मेंटेनेंस |
| अगले साल फिर | दोहराव | ₹50 लाख | डेबारमेंट (1 साल तक) |
| मेजर लैप्स (No Casualty) | कोई मौत नहीं | ₹5Cr + रेक्टिफिकेशन | पर्सनल डेबारमेंट (2 साल) |
| फेटल (मौतें) | ह्यूमन लॉस | ₹10Cr + 3 साल डेबार | NHAI ऑफिशियल्स पर एक्शन |
टोटल इम्पैक्ट: 2025 में 3500 स्ट्रेच पर लागू – ठेकेदारों का खर्च 20% ↑!
कैशलेस ट्रीटमेंट स्कीम – पीड़ितों को राहत
- क्या? हादसे में घायल को 7 दिन तक ₹1.5 लाख फ्री इलाज – डेजिग्नेटेड हॉस्पिटल्स में।
- कब? मई 2025 नोटिफिकेशन से – चंडीगढ़ + 6 राज्यों में पायलट।
- लॉन्च: जल्द देशभर – NHAI का QR कोड साइन बोर्ड भी (पेट्रोल/होटल/पुलिस लोकेशन)
| स्कीम बेनिफिट | कवरेज | हेल्पलाइन |
|---|---|---|
| 7 दिन कैशलेस | ₹1.5 लाख | 1033 (NHAI) |
| QR साइन बोर्ड | नजदीकी सुविधाएँ | ऐप/साइन पर स्कैन |
भारत के हाईवे हादसे – आंकड़े जो डराते हैं
| वर्ष | हादसे | मौतें | कारण |
|---|---|---|---|
| 2024 | 1.68 लाख | 70,000 | ब्लैक स्पॉट्स (3,500) |
| 2025 (अनुमान) | 1.5 लाख+ | 65,000 | खराब मेंटेनेंस |
| BOT प्रोजेक्ट्स | 40% हादसे | 25% मौतें | क्रैश मैनेजमेंट कम |
गडकरी का वादा: “ठेकेदारों को बख्शेंगे नहीं – सेफ्टी फर्स्ट!”
निष्कर्ष: ठेकेदारों की शामत – सड़कें अब सेफ होंगी?
| नया नियम | इम्पैक्ट | भविष्य |
|---|---|---|
| ₹25L-50L पेनल्टी | ठेकेदार जिम्मेदार | हादसे 20% ↓ |
| BOT/HAM सख्ती | क्रैश मैनेजमेंट | 3500 ब्लैक स्पॉट फिक्स |
| कैशलेस स्कीम | पीड़ित राहत | ₹1.5L फ्री इलाज |
| कुल असर | जानमाल बचाव | NH 1 लाख km सेफ |
सार: सरकार का सख्त फरमान – हादसे अब ठेकेदार की जेब काटेंगे। सड़कें तेज, लेकिन सेफ! आज का मंत्र: “हाईवे पर लापरवाही = शामत! सेफ्टी पहले, जुर्माना बाद!”
क्या लगता है – हादसे कम होंगे? कमेंट्स में बताएँ! शेयर करें – सड़कें सेफ हों!



