Second Hand Smoking: क्या आपको पता है बिना सिगरेट पिए भी हो सकता है लंग कैंसर? जानें सेकंड हैंड स्मोकिंग क्या है और क्यों है खतरनाक
सेकंड हैंड स्मोकिंग क्या है? बिना सिगरेट पिए भी क्यों होता है लंग कैंसर का खतरा?

Second Hand Smoking: फेफड़ों के स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 25 सितंबर को वर्ल्ड लंग कैंसर डे (World Lung Cancer Day) मनाया जाता है। आमतौर पर माना जाता है कि सिगरेट पीने वालों को ही फेफड़ों की बीमारी का खतरा होता है, लेकिन डॉक्टर बताते हैं कि सेकंड हैंड स्मोकिंग (Secondhand Smoke) अब फेफड़ों के लिए एक गंभीर और अक्सर कम आंका जाने वाला रिस्क फैक्टर बन गया है। बिना सिगरेट पिए भी लोग इसके संपर्क में आकर लंग कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते हैं।
Second Hand Smoking: सेकंड हैंड स्मोकिंग क्या है और यह फेफड़ों को कैसे नुकसान पहुंचाती है?
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग में पल्मोनोलॉजी के सीनियर डायरेक्टर डॉ. इंदर मोहन चुघ के अनुसार, सेकंड हैंड स्मोकिंग वह धुआं है जो जलती हुई सिगरेट से निकलता है। धूम्रपान करने वाले लोगों द्वारा सांस के ज़रिए बाहर छोड़ा जाता है।
फेफड़ों को नुकसान
सेकंड हैंड स्मोक में हजारों हानिकारक रसायन होते हैं जो जहरीले और कैंसर पैदा करने वाले माने जाते हैं। इस धुएं में सांस लेने से एयरवेज (Airways) को नुकसान होता है और फेफड़ों की कार्यक्षमता (Functioning) कम हो जाती है। लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से अस्थमा (Asthma), सीओपीडी (COPD) और गंभीर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन का खतरा काफी बढ़ जाता है।
इन लोगों को है सेकंड हैंड स्मोक से सबसे ज्यादा खतरा
सेकंड हैंड स्मोकिंग वयस्कों के साथ-साथ बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए भी अत्यंत हानिकारक है।
बच्चों पर असर: डॉक्टर चुघ बताते हैं कि बच्चे इस धुएं के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील होते हैं, क्योंकि उनके फेफड़े विकसित हो रहे होते हैं। कम समय के लिए भी इस स्मोक के संपर्क में आने से उन्हें खांसी, घरघराहट और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। जो बच्चे ऐसे वातावरण में पलते-बढ़ते हैं, उनमें आगे चलकर फेफड़ों की पुरानी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
गर्भवती महिलाएं: सेकंड हैंड स्मोकिंग गर्भवती महिलाओं और भ्रूण को प्रभावित करती है, जिससे जन्म के समय बच्चे का वजन कम होना, समय से पहले जन्म, फेफड़ों की समस्याएं और सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोन (SIDS) जैसी गंभीर समस्याएँ हो सकती हैं।
Second Hand Smoking का ‘सुरक्षित स्तर’ क्यों नहीं होता?
- सेकंड हैंड स्मोकिंग के संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसका कोई “सुरक्षित” स्तर (Safe Level) नहीं होता है।
- धुएं से भरे कमरे में कुछ मिनट भी बिताने से फेफड़ों में तुरंत जलन हो सकती है या अस्थमा का दौरा पड़ सकता है।
- सीओपीडी (COPD) जैसी पहले से मौजूद फेफड़ों की बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए इसका असर तत्काल और गंभीर हो सकता है।
- सेहतमंद रहने के लिए धूम्रपान न करने वाले लोगों को धूम्रपान करने वालों के आस-पास रहने से भी बचना चाहिए, ताकि वे अनजाने में भी टॉक्सिक धुएं के संपर्क में न आएं।
Second Hand Smoking: फेफड़ों के कैंसर के खतरे को कैसे कम करें?
- सार्वजनिक स्थानों और घरों को धूम्रपान मुक्त रखें।
- धूम्रपान करने वाले लोगों से उचित दूरी बनाकर रखें।
- लंग्स की बीमारियों से पीड़ित लोगों को खासकर प्रदूषित वातावरण से दूर रहना चाहिए।