West Bengal News: ममता बनर्जी ने बंगाली प्रवासी मजदूरों के उत्पीड़न के खिलाफ कोलकाता में निकाली रैली
बारिश में भी हजारों की भीड़, ममता की चुनौती- मुझे हिरासत में लो, बीजेपी का पलटवार- रोहिंग्या को बचा रही TMC,

West Bengal News: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कोलकाता में एक विशाल विरोध रैली का नेतृत्व किया। यह रैली बीजेपी शासित राज्यों में बंगाली प्रवासी मजदूरों के कथित उत्पीड़न और हिरासत के खिलाफ थी। तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने दावा किया कि बंगाली भाषी मजदूरों को गलत तरीके से “अवैध बांग्लादेशी” कहकर हिरासत में लिया जा रहा है, भले ही उनके पास वैध भारतीय दस्तावेज हों।
रैली में क्या हुआ?
ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी और अन्य पार्टी नेताओं के साथ मिलकर कोलकाता के कॉलेज स्क्वायर से दोरिना क्रॉसिंग तक मार्च किया। यह रैली लगभग 3 किलोमीटर लंबी थी और इसमें हजारों लोग शामिल हुए। बारिश के बावजूद, ममता ने भीड़ को संबोधित करते हुए कहा, “बीजेपी की बंगालियों के प्रति नीति से मैं शर्मिंदा हूँ। बंगाली बोलने वाले लोगों को जेल में डाला जा रहा है। मैं और बंगाली बोलूँगी, मुझे हिरासत में लो! बंगाल के 22 लाख प्रवासी मजदूर देश के विभिन्न हिस्सों में काम करते हैं। बंगाली बोलने से कोई बांग्लादेशी नहीं हो जाता।”
क्यों हो रहा है विरोध?
तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी शासित राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, और दिल्ली में बंगाली मजदूरों को परेशान किया जा रहा है। हाल ही में, छत्तीसगढ़ के बस्तर में नदिया जिले के आठ मजदूरों को पुलिस ने हिरासत में लिया। उनके परिवारों का कहना है कि उनके पास आधार कार्ड और वोटर आईडी जैसे वैध दस्तावेज थे, फिर भी उन्हें परेशान किया गया।
टीएमसी का आरोप है कि बीजेपी बंगाली भाषी लोगों को रोहिंग्या या “अवैध घुसपैठिए” कहकर बदनाम कर रही है। पार्टी ने इसे “बंगाली अस्मिता” के खिलाफ हमला बताया है। कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने कहा, “बीजेपी के नेता दिल्ली को खुश करने के लिए बंगालियों को निशाना बना रहे हैं।
2026 चुनाव से पहले रणनीति
यह रैली 2026 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। पार्टी बंगाली पहचान और गौरव के मुद्दे को उठाकर मतदाताओं से भावनात्मक जुड़ाव बनाना चाहती है। यह विरोध प्रदर्शन 21 जुलाई को होने वाले टीएमसी के वार्षिक शहीद दिवस रैली से पहले आयोजित किया गया, जो सामान्य रूप से पार्टी के लिए बड़ा आयोजन होता है।
बीजेपी का जवाब
बीजेपी ने ममता पर पलटवार करते हुए कहा कि यह रैली “अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों” को बचाने की कोशिश है। उन्होंने ममता से सवाल किया कि वह बंगाल के बेरोजगार शिक्षकों की समस्याओं पर चुप क्यों हैं।
जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर लोगों ने इस रैली को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ दीं। कुछ ने ममता के कदम को बंगाली गौरव की रक्षा के लिए जरूरी बताया, जबकि अन्य ने इसे चुनावी नाटक करार दिया। एक प्रवासी मजदूर ने कहा, “हमें काम के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है, लेकिन वहाँ हमें बांग्लादेशी कहकर अपमानित किया जाता है।”