
Bihar Election 2025: केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में हिस्सा लेने की तैयारी कर रहे हैं। यह कदम बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। अपने मशहूर नारे “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” के साथ चिराग युवाओं और दलित मतदाताओं के बीच अपनी लोकप्रियता को और मजबूत करना चाहते हैं। उनकी पार्टी का यह फैसला अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने वाले चुनावों को और रोमांचक बना सकता है।
बिहार के लिए नया नेतृत्व
हाजीपुर के सांसद और दलित समुदाय के बड़े चेहरे चिराग पासवान ने राज्य की राजनीति पर ध्यान देने की इच्छा जताई है। उनकी पार्टी के सांसद अरुण भारती ने कहा कि चिराग का नेतृत्व बिहार के लिए जरूरी है। 2021 में LJP के टूटने के बाद भी चिराग ने हार नहीं मानी और युवाओं के बीच अपनी मजबूत पहचान बनाई। उनका लक्ष्य बिहार के विकास को गति देना और रोजगार, पलायन जैसे मुद्दों पर काम करना है।
एनडीए की ताकत को और बढ़ाने की रणनीति
एनडीए के अहम सहयोगी के रूप में चिराग ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2025 का चुनाव लड़ने का भरोसा जताया है। 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी का शत-प्रतिशत जीत का रिकॉर्ड उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है। चिराग का दावा है कि एनडीए 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में 225 से ज्यादा सीटें जीतेगी। यह रणनीति विपक्षी महागठबंधन को कड़ी टक्कर देने के लिए है।
Bihar Election 2025: दलित वोटों पर नई रणनीति
चिराग “बहुजन-भीम संकल्प समागम” जैसे कार्यक्रमों के जरिए सभी दलित समुदायों तक पहुंचने की योजना बना रहे हैं। बिहार में 16.04% दलित आबादी को देखते हुए यह कदम RJD और कांग्रेस जैसे प्रतिद्वंद्वियों को चुनौती दे सकता है। उनकी पार्टी ने मेहनती कार्यकर्ताओं को टिकट देने का फैसला किया है, जो जमीनी स्तर पर उनकी ताकत को बढ़ाएगा।
बिहार की सियासत में बड़ा बदलाव
चिराग का विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला और संभावित रूप से मुख्यमंत्री पद की दावेदारी नीतीश कुमार की सेहत और युवा नेतृत्व की मांग के बीच चर्चा में है। RJD के तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर जैसे नए चेहरों के साथ यह चुनाव त्रिकोणीय मुकाबले में बदल सकता है।
Bihar Election 2025: बिहार के लिए क्यों अहम है यह कदम
चिराग पासवान का 2025 का चुनाव लड़ना सिर्फ राजनीतिक कदम नहीं, बल्कि बिहार के लिए बदलाव की पुकार है। युवा, दलित सशक्तिकरण और विकास पर जोर देकर वे जातिगत राजनीति को तोड़ना चाहते हैं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, चिराग का यह कदम बिहार की सियासत को नई दिशा दे सकता है।

Writer