Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Election 2025) का रण जैसे-जैसे अपने अंतिम दौर में पहुंच रहा है, राजनीतिक बयानबाजी और रणनीतिक चालें तेज हो गई हैं। इस चुनाव में ‘तीसरे ध्रुव’ के तौर पर उभरे ‘जन सुराज’ (Jan Suraaj) के सूत्रधार प्रशांत किशोर (PK) ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिसने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है।
प्रशांत किशोर ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्टाम्प पेपर पर लिखित में यह ऐलान किया कि उनकी पार्टी ‘जन सुराज’ न तो चुनाव से पहले और न ही चुनाव के बाद (14 नवंबर को नतीजे आने पर) किसी भी गठबंधन को सरकार बनाने के लिए समर्थन देगी।
क्यों देनी पड़ी लिखित गारंटी?
पिछले कई महीनों से, प्रशांत किशोर लगातार दोनों प्रमुख गठबंधनों के निशाने पर रहे हैं। RJD नेता तेजस्वी यादव और उनके सहयोगी दल लगातार आरोप लगाते रहे हैं कि प्रशांत किशोर, बीजेपी (BJP) की ‘बी-टीम’ हैं और उन्हें एनडीए (NDA) द्वारा महागठबंधन का वोट काटने के लिए खड़ा किया गया है। वहीं, दूसरी ओर, एनडीए के कुछ नेता यह प्रचारित कर रहे थे कि पीके अंत में तेजस्वी यादव के साथ जा सकते हैं।
इन आरोपों से मतदाताओं के बीच बन रहे भ्रम को तोड़ने के लिए, प्रशांत किशोर ने यह असाधारण कदम उठाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘जन सुराज’ का लक्ष्य व्यवस्था परिवर्तन है, न कि किसी गठबंधन की सरकार बनवाना।
‘किसी भी कीमत पर गठबंधन नहीं’
प्रशांत किशोर ने मीडिया के सामने अपने हस्ताक्षरित दस्तावेज़ को दिखाते हुए कहा, “मैं यह लिखित में दे रहा हूं, इसे स्टाम्प पेपर पर समझ लीजिए। जन सुराज पार्टी 14 नवंबर को नतीजे आने के बाद किसी भी परिस्थिति में न तो एनडीए को और न ही महागठबंधन को सरकार बनाने के लिए समर्थन देगी।
उन्होंने आगे और कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा, “मैं ऐसे किसी गठबंधन का हिस्सा बनने या उन्हें समर्थन देने से पहले मरना पसंद करूंगा। जो लोग यह अफवाह फैला रहे हैं कि हम किसी की ‘बी-टीम’ हैं, वे आज यह लिखित प्रमाण देख लें।”
क्या होगा ‘त्रिशंकु विधानसभा’ का सीन?
बिहार की 243 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 122 है। हाल ही में आए कुछ ओपिनियन पोल (जैसे ‘टाइम्स नाऊ’-जेवीसी) ने एनडीए को बहुमत के करीब (120-140 सीटें) दिखाया है, जबकि महागठबंधन को 93-112 सीटों का अनुमान दिया है। हालांकि, वोट प्रतिशत में दोनों के बीच महज 2% का मामूली अंतर है, जो यह दर्शाता है कि मुकाबला बेहद कड़ा है।
ऐसे में ‘त्रिशंकु विधानसभा’ (Hung Assembly) की स्थिति बनने की पूरी संभावना है। प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज’ पार्टी भले ही सर्वे में 1-2 सीटें जीतती दिख रही हो, लेकिन उसका 6-7% का वोट शेयर कई सीटों पर हार-जीत का फैसला कर सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि ऐसी स्थिति में प्रशांत किशोर ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभा सकते हैं।
रणनीति या राजनीतिक ‘सुसाइड’?
प्रशांत किशोर के इस लिखित ऐलान ने ‘किंगमेकर’ की सभी संभावनाओं को खत्म कर दिया है। यह एक हाई-रिस्क, हाई-रिवॉर्ड रणनीति है। इस कदम से वह उन ‘तटस्थ’ मतदाताओं (Undecided Voters) को एक स्पष्ट संदेश दे रहे हैं, जो बदलाव के लिए वोट देना चाहते हैं, लेकिन डरते हैं कि उनका वोट ‘खराब’ न हो जाए, या उनका विधायक बाद में किसी और गठबंधन के साथ न चला जाए।
हालांकि, इस ऐलान के बाद अब ‘जन सुराज’ के लिए करो या मरो की स्थिति बन गई है। पीके ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर उन्हें स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है, तो वे विपक्ष में बैठना या दोबारा चुनाव में जाना पसंद करेंगे, लेकिन 35 सालों से बिहार पर राज कर रहे “लालू-नीतीश” के किसी भी खेमे का हिस्सा नहीं बनेंगे।

Leave a Reply