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Bihar Politics: लखीसराय विधानसभा सीट पर 5 बार से BJP का कब्जा, क्या विजय सिन्हा की 'हॉट सीट' पर लगेगा झटका?

लखीसराय विधानसभा सीट BJP का 'अद्भुत' गढ़ रही है, जहां से 5 बार जीत मिली है। इस 'हॉट सीट' पर विजय कुमार सिन्हा फिर से मैदान में हैं।

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की बिसात बिछ चुकी है और सभी की निगाहें राज्य की कुछ सबसे ‘हॉट सीटों’ पर टिक गई हैं। इनमें से एक है लखीसराय विधानसभा सीट, जिसे भारतीय जनता पार्टी (BJP) का ‘अद्भुत’ और अभेद्य किला माना जाता है। यह सीट इस बार इसलिए भी खास है क्योंकि यहां से एनडीए (NDA) के उम्मीदवार राज्य के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा हैं।

लखीसराय विधानसभा सीट का 48 साल का चुनावी इतिहास बताता है कि यहां की जनता ने सबसे ज्यादा भरोसा ‘कमल’ पर ही जताया है। बीजेपी इस सीट से सर्वाधिक पांच बार जीत दर्ज कर चुकी है और अब उसकी नजर छठी जीत पर है। लेकिन इस बार ‘इंडिया’ गठबंधन और जन सुराज की मौजूदगी ने मुकाबले को ‘शॉकिंग’ और दिलचस्प बना दिया है।

Bihar Politics: क्या है 5 जीतों का ‘अद्भुत’ इतिहास

लखीसराय विधानसभा सीट 1977 में अस्तित्व में आई थी। तब से लेकर आज तक, इस सीट ने कई राजनीतिक दलों का उत्थान और पतन देखा है। 1977 और 1985 में यहां जनता पार्टी ने जीत हासिल की, जबकि 1990 और 1995 में जनता दल का कब्जा रहा। कांग्रेस को सिर्फ एक बार 1980 में जीत नसीब हुई।

इस सीट पर बीजेपी का ‘अद्भुत’ सफर साल 2000 में शुरू हुआ, जब बीजेपी के कृष्ण चंद्र प्रसाद सिंह ने आरजेडी के फुलैना सिंह को 12,180 वोटों के बड़े अंतर से हराया। यह जीत लखीसराय में बीजेपी के प्रभुत्व की नींव साबित हुई।

विजय सिन्हा युग की शुरुआत

2005 के विधानसभा चुनावों ने लखीसराय विधानसभा सीट की राजनीति को एक नया चेहरा दिया – विजय कुमार सिन्हा। हालांकि, फरवरी 2005 के चुनाव में सरकार नहीं बन पाई और अक्टूबर 2005 में दोबारा चुनाव हुए। इस बेहद करीबी मुकाबले में विजय सिन्हा आरजेडी के फुलैना सिंह से मात्र 80 वोटों के मामूली अंतर से हार गए।

लेकिन विजय सिन्हा ने हार नहीं मानी। 2010 के चुनाव में उन्होंने ‘अद्भुत’ वापसी की और आरजेडी के फुलैना सिंह को 59,620 वोटों के भारी अंतर से रौंद दिया। यह लखीसराय के इतिहास की सबसे बड़ी जीतों में से एक थी।

2015 की ‘महागठबंधन’ लहर में भी जीते

विजय सिन्हा का कद तब और बढ़ गया जब उन्होंने 2015 के ‘शॉकिंग’ चुनाव में भी अपनी सीट बचा ली। यह वह चुनाव था जब आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस ने मिलकर ‘महागठबंधन’ बनाया था और पूरे बिहार में एनडीए के खिलाफ लहर थी। इस लहर के बावजूद, विजय सिन्हा ने जेडीयू के रामानंद मंडल को 6,556 वोटों से हराकर अपनी पकड़ साबित कर दी।

इसके बाद 2020 के चुनाव में, विजय कुमार सिन्हा ने कांग्रेस के अमरेश कुमार अनीश को 10,483 वोटों से हराकर लगातार तीसरी बार (और बीजेपी के लिए कुल पांचवीं बार) जीत हासिल की।

Bihar Politics: 2025 में करीबी मुकाबला

2025 के चुनाव में लखीसराय विधानसभा सीट का मुकाबला पहले से कहीं ज्यादा ‘हॉट’ है। एनडीए की तरफ से उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा खुद मैदान में हैं, जिससे यह सीट बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है।

दूसरी ओर, ‘इंडिया’ गठबंधन इस किले को भेदने के लिए एक मजबूत उम्मीदवार की तलाश में है। कांग्रेस के अमरेश कुमार अनीश, जो 2020 में कड़ी टक्कर दे चुके हैं, एक प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। वहीं, प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज’ पार्टी भी इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतार सकती है, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है।

जातीय समीकरण किसके साथ?

लखीसराय विधानसभा सीट पर जीत-हार का फैसला काफी हद तक जातीय समीकरण पर निर्भर करता है। यह क्षेत्र भूमिहार बहुल माना जाता है, जो परंपरागत रूप से बीजेपी का कोर वोट बैंक रहा है। विजय कुमार सिन्हा खुद इसी समुदाय से आते हैं, जिसका उन्हें सीधा फायदा मिलता है।

हालांकि, यादव, वैश्य और अति पिछड़ा वर्ग (EBC) के मतदाता भी यहां निर्णायक भूमिका में हैं। ‘इंडिया’ गठबंधन की नजर इन्हीं वोटों को एकजुट कर बीजेपी के ‘अभेद्य’ किले को तोड़ने पर टिकी है। देखना यह होगा कि क्या विजय सिन्हा अपने ‘रिकॉर्ड को जारी रखते हुए छठी बार जीत दर्ज कर पाते हैं, या विपक्ष कोई ‘शॉकिंग’ उलटफेर करने में कामयाब होता है।

Sanjna Gupta
Author: Sanjna Gupta

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