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मौलाना तौकीर रजा पर भीड़ जुटाने और बवाल की साजिश का आरोप, पूर्व जिलाध्यक्ष ने खोले राज

बरेली: इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) प्रमुख मौलाना तौकीर रजा पर राजनीतिक रसूख दिखाने के लिए भीड़ जुटाने और बवाल की साजिश रचने के आरोप लग रहे हैं। पुलिस की पूछताछ में आईएमसी के पूर्व जिलाध्यक्ष नदीम खां ने कई अहम खुलासे किए हैं।

नदीम खां ने बताया कि पिछले डेढ़ साल से मौलाना तौकीर अपने बूते बरेली में भीड़ नहीं जुटा पाए थे। इससे वह चिंतित रहने लगे और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुसलमानों के बीच मजहबी मुद्दों के जरिए खुद को नेता के रूप में स्थापित करना चाहते थे। साथ ही, 2027 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस, सपा और बसपा जैसे दलों को भी अपना सियासी प्रभाव दिखाना उनका मकसद था।

नदीम ने स्वीकार किया कि प्रदर्शन के दिन फर्जी पत्र जारी किया गया था, जिस पर पार्टी के मीडिया प्रभारी लियाकत खां के नकली हस्ताक्षर थे। यह पत्र नफीस और नदीम ने तीसरे शख्स से लिखवाकर पुलिस को सौंपा था। बाद में मौलाना ने खुद इसे फर्जी बताकर वीडियो जारी कर दिया।

पूछताछ में सामने आया कि मौलाना के करीबी दो गुटों के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही थी। एक गुट में नदीम और नफीस शामिल थे, जबकि दूसरे में मुनीर इदरीशी, अनीस सकलैनी और अहसानुल हक उर्फ चतुर्वेदी। मौलाना कभी एक गुट के करीब रहते तो दूसरा गुट उनके खिलाफ माहौल बनाता। इसी गुटबाजी का नतीजा था कि पत्र विवाद ने तूल पकड़ा और आयोजन कराने पर अड़ गए।

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बवाल में किसकी रही भूमिका?
नदीम ने पुलिस को बताया कि वह लोगों को शांत कराने की कोशिश कर रहा था और भीड़ जुटाने में उसकी बड़ी भूमिका नहीं थी। उसके अनुसार, भीड़ इकट्ठा करने में मुनीर इदरीशी और नफीस की ज्यादा भूमिका रही। हालांकि पुलिस का कहना है कि नदीम इस प्रकरण का अहम आरोपी है और उससे मिली जानकारियां आगे की जांच और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी में मददगार साबित होंगी।

एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि नदीम से हुई पूछताछ में कई तथ्य सामने आए हैं, जो दर्ज मुकदमों की विवेचना में अहम भूमिका निभाएंगे।

Vaibhav tiwari
Author: Vaibhav tiwari

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