Jharkhand News: JPSC में मेडिकल अनफिट घोषित श्रेया तिर्की को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, दोबारा जांच का आदेश
JPSC: मेडिकल अनफिट श्रेया तिर्की को सुप्रीम कोर्ट से राहत, दोबारा जांच का आदेश, पद सुरक्षित।

Jharkhand News: झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) की 7वीं सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बावजूद मेडिकल आधार पर अयोग्य घोषित की गईं उम्मीदवार श्रेया तिर्की को सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने झारखंड मेडिकल बोर्ड के फैसले पर सवाल उठाते हुए, श्रेया की मेडिकल फिटनेस की दोबारा जांच के लिए एक स्वतंत्र मेडिकल बोर्ड के गठन का आदेश दिया है। इस फैसले ने न केवल श्रेया तिर्की की प्रशासनिक अधिकारी बनने की उम्मीदों को फिर से जगा दिया है, बल्कि यह उन हजारों उम्मीदवारों के लिए भी एक नजीर बन गया है, जिन्हें मामूली चिकित्सा कारणों से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।
JPSC पास करने के बाद भी मेडिकल बोर्ड ने किया था ‘अनफिट’
यह मामला 7वीं जेपीएससी की सफल उम्मीदवार श्रेया तिर्की से जुड़ा है। उन्होंने जेपीएससी की कठिन परीक्षा के सभी चरणों को सफलतापूर्वक पास कर लिया था, लेकिन अंतिम चरण में, नियुक्ति से पहले होने वाली मेडिकल जांच में उन्हें राज्य मेडिकल बोर्ड द्वारा ‘अनफिट’ करार दे दिया गया था। मेडिकल बोर्ड ने एक विशिष्ट चिकित्सा स्थिति का हवाला देते हुए उन्हें प्रशासनिक सेवा के लिए अयोग्य ठहराया था। इस फैसले के खिलाफ श्रेया ने पहले झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां से राहत न मिलने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया दोबारा जांच का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य मेडिकल बोर्ड की प्रक्रिया और नियमों पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की। अदालत ने माना कि हो सकता है कि मेडिकल फिटनेस के नियम पुराने हों या उन्हें उम्मीदवार की वास्तविक कार्य क्षमता को देखे बिना लागू किया गया हो। शीर्ष अदालत ने राज्य मेडिकल बोर्ड के फैसले को दरकिनार करते हुए श्रेया तिर्की की मेडिकल फिटनेस की फिर से जांच कराने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि यह जांच एक नए और स्वतंत्र मेडिकल बोर्ड द्वारा की जानी चाहिए, ताकि एक निष्पक्ष राय सामने आ सके।
पद के लिए शारीरिक क्षमता जरूरी : सुप्रीम कोर्ट
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बेहद महत्वपूर्ण टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि किसी भी पद के लिए मेडिकल फिटनेस का आकलन करते समय यह देखा जाना चाहिए कि उम्मीदवार की चिकित्सा स्थिति उसके कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा डालती है या नहीं। सिर्फ पुराने नियमों की लकीर पीटना और उम्मीदवार को अयोग्य घोषित करना सही नहीं है। अदालत का मानना था कि जब तक कोई स्थिति किसी व्यक्ति को उसकी जिम्मेदारियों को निभाने से नहीं रोकती, तब तक उसे नौकरी से वंचित नहीं किया जा सकता।
श्रेया के लिए जगी उम्मीद, JPSC को पद सुरक्षित रखने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले ने श्रेया तिर्की की झारखंड में प्रशासनिक अधिकारी बनने की उम्मीदों को फिर से जीवित कर दिया है। अदालत ने जेपीएससी को यह भी निर्देश दिया है कि जब तक नए मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक श्रेया के लिए एक पद सुरक्षित रखा जाए। यह फैसला उन सभी मेधावी छात्रों के लिए एक बड़ी जीत है, जो छोटी-मोटी चिकित्सा समस्याओं के कारण सरकारी नौकरी के अवसर खो देते हैं।