नेपाल को मिली पहली महिला प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने ली शपथ, आसान नही होगी राह !

नेपाल में लंबे राजनीतिक सस्पेंस के बाद आखिरकार सुशीला कार्की ने शुक्रवार देर शाम देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। पूर्व चीफ जस्टिस रह चुकीं कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। उनके शपथ ग्रहण के साथ ही नेपाल के राष्ट्रपति ने प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया और 21 मार्च 2026 को आम चुनाव कराने का ऐलान कर दिया।
क्यों आसान नहीं था रास्ता?
सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाना आसान नहीं था। नेपाल के संविधान में किसी जज को सीधे संसद या कार्यकारी पद पर लाने का प्रावधान नहीं है। इसलिए इसके लिए संविधान विशेषज्ञों से राय ली गई और आवश्यक संशोधन किया गया। कार्की ने साफ कहा था कि जब तक कानूनी रूप से स्पष्टता नहीं होगी, वह शपथ नहीं लेंगी।
कार्की ने रखी तीन शर्तें
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संसद का भंग होना – उन्होंने शर्त रखी थी कि अंतरिम सरकार तभी बनेगी जब प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया जाए। राष्ट्रपति ने इस पर सहमति दी।
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राजनीतिक दलों और युवाओं का समर्थन – कार्की चाहती थीं कि उन्हें केवल राजनीतिक दलों का ही नहीं बल्कि आंदोलन कर रहे Gen-Z युवाओं का भी भरोसा मिले।
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आंदोलन में मारे गए युवाओं की जांच – उन्होंने मांग की कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान जिन बच्चों और युवाओं की जान गई है, उनकी मौत की निष्पक्ष जांच हो।
शपथ ग्रहण समारोह राष्ट्रपति कार्यालय में हुआ, जहां राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। इस मौके पर उपराष्ट्रपति राम सहाय यादव और प्रधान न्यायाधीश प्रकाश मान सिंह रावत भी मौजूद थे।
नेपाल में हाल ही में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्रतिबंधों को लेकर बड़े स्तर पर युवाओं ने विरोध प्रदर्शन किया। स्थिति बिगड़ने पर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पद छोड़ना पड़ा। इसके बाद अंतरिम नेतृत्व के लिए सुशीला कार्की पर सहमति बनी।
कार्की का प्रधानमंत्री बनना नेपाल की राजनीति के लिए ऐतिहासिक है। उन्हें एक ईमानदार, कड़े और पारदर्शी फैसलों वाली नेता माना जाता है। अब सभी की नजर इस बात पर है कि वह अंतरिम सरकार को स्थिरता दे पाएंगी या नहीं।
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